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बच्चों की रात की कहानियां PDF
अधूरी बात
दो शहरी लड़के रास्ता भूल गए। अँधेरा बढ़ रहा था, अतः मजबूरन उन्हें एक सराय में रुकना पड़ा। आधी रात को एकाएक उनकी नींद उचट गई। उन्होंने पास के कमरे से आती हुई एक आवाज को सुना-‘कल सुबह एक हंडे में पानी खौला देना। मैं उन दोनों बच्चों का वध करना चाहता हूँ। दोनों लड़कों का खून जम गया।
‘हे भगवान्!’ वे बुदबुदाए, ‘इस सराय का मालिक तो हत्यारा है!’ तुरंत उन्होंने वहाँ से भाग जाने का निश्चय किया। कमरे की खिड़की से वे बाहर कूद गए। पर बाहर पहुँचकर उन्होंने पाया कि बाहर दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। अंत में उन्होंने सूअरों के बाड़े में छिपने का निर्णय किया। रात भर उन्होंने जागते हुए बिताई। सुबह सराय का मालिक सूअरों के बाड़े में आया।
बड़ा सा छुरा तेज किया और पुकारा-“आ जाओ मेरे प्यारे बच्चो, तुम्हारा आखिरी वक्त आ पहुँचा है! दोनों लड़के भय से काँपते हुए सराय के मालिक के पैरों पर गिर पड़े और गिड़गिड़ाने लगे। सराय का मालिक यह देखकर चकित रह गया। फिर पूछा, “बात क्या है?” “हमने रात में आपको किसीसे कहते सुना था कि सुबह आप हमें मौत के घाट उतारने वाले हैं।”
लड़कों ने जवाब दिया। सराय का मालिक यह सुनकर हँसा, “बेवकूफ लड़को! मैं तुम लोगों के बारे में नहीं कह रहा था। मैंने तो दो ननहे सूअरों के बारे में कहा था, जिन्हें मैं इसी तरह पुकारता हूँ।
Moral of Kids Story in Hindi – पूरी बात जाने बिना दूसरों की बातों पर कभी कान नहीं देने चाहिए।
लालच का परिणाम
रामदास एक ग्वाले का बेटा था। रोज सुबह वह अपनी गायों को चराने जंगल में ले जाता। हर गाय के गले में एक-एक घंटी बंधी थी। जो गाय सबसे अधिक सुंदर थी उसके गले में घंटी भी अधिक कीमती बँधी थी। एक दिन एक अजनबी जंगल से गुजर रहा था। वह उस गाय को देखकर रामदास के पास आया, “यह घंटी बड़ी प्यारी है! क्या कीमत है इसकी?” “बीस रुपए।”
रामदास ने उत्तर दिया। “बस, सिर्फ बीस रुपए! मैं तुम्हें इस घंटी के चालीस रुपए दे सकता हूँ।’ “ सुनकर रामदास प्रसन्न हो उठा। झट उसने घंटी उतारकर उस अजनबी के हाथ में थमा दी और पैसे अपनी जेब में रख लिये। अब गाय के गले में कोई घंटी नहीं थी। घंटी की टुनक से उसे अंदाजा हो जाया करता था।
अतः अब इसका अंदाजा लगाना रामदास के लिए मुश्किल हो गया कि गाय इस वक्त कहाँ चर रही है। जब चरते-चरते गाय दूर निकल आई तो अजनबी को मौका मिल गया। वह गाय को अपने साथ लेकर चल पड़ा। तभी रामदास ने उसे देखा। वह रोता हुआ घर पहुँचा और सारी घटना अपने पिता को सुनाई। उसने कहा,
“मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था कि वह अजनबी मुझे घंटी के इतने अच्छे पैसे देकर ठग ले जाएगा।” पिता ने कहा, “ठगी का सुख बड़ा खतरनाक होता है। पहले वह हमें प्रसन्नता देता है, फिर दुःख। अतः हमें पहले ही उसका सुख नहीं उठाना चाहिए।”
Moral of Kids Story in Hindi – लालच से कभी सुख नहीं मिलता
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दुसमान की सलाह
एक थी बिल्ली। मुरगी के बच्चे उसे बहुत ही भाते थे। रोजाना दो-चार बच्चों को वह कहीं-न-कहीं से खोज खाजकर खा जाती थी। एक दिन उसे भनक मिली कि एक मुरगी बीमार है। वह हमदर्दी जताने मुरगी के दरबे के पास आई और कहा, “कहो बहन, कैसी हो? क्या मैं तुम्हारी ऐसी हालत में तुम्हारे कुछ काम आ सकती हूँ?
तुम्हारी सेवा करना मेरा फर्ज भी तो है।” बीमार मुरगी क्षण भर सोचती रही। फिर बोली, “अगर तुम सचमुच मेरी सेवा करना चाहती हो तो मेरे परिवार से दूर रहा-और अपनी जमातवालों से भी ऐसा ही करने को कहो।”
Moral of Kids Story in Hindi – दुश्मन की शुभकामनाओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
ज्ञान का महत्व
उन दिनों महादेव गोविंद रानडे हाई कोर्ट के जज थे। उन्हें भाषाएँ सीखने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के कारण उन्होंने अनेक भाषाएँ सीख ली थीं; किंतु बँगला भाषा अभी तक नहीं सीख पाए थे। अंत में उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने एक बंगाली नाई से हजामत बनवानी शुरू कर दी। नाई जितनी देर तक उनकी हजामत बनाता,
वे उससे बँगला भाषा सीखते रहते। रानडे की पत्नी को यह बुरा लगा। उन्होंने अपने पति से कहा, “आप हाई कोर्ट के जज होकर एक नाई से भाषा सीखते हैं! कोई देखेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी! आपको बँगला सीखनी ही है तो किसी विद्वान् से सीखिए।”
रानडे ने हँसते हुए उत्तर दिया, “मैं तो ज्ञान का प्यासा हूँ। मुझे जाति-पाँत से क्या लेना-देना?” यह उत्तर सुन पत्नी फिर कुछ न बोलीं।
Moral of Kids Story in Hindi – ज्ञान ऊँच-नीच की किसी पिटारी में बंद नहीं रहता।
बेकार का झगड़ा
गरमियों की एक सुबह घनिष्ठ मित्र तोताराम और कल्लू एक जंगल में गए। सहसा उन्हें कोयल की कुहुक सुनाई पड़ी। “यह एक पक्षी की आवाज है जो किसी मंगल की सूचना देती है।” अंधविश्वासी तोताराम ने कहा, “मैंने इसकी आवाज सुबह-सुबह सुनी है। मुझे विश्वास है कि आज का दिन बड़ा भाग्यशाली होगा।
अवश्य ही मुझे रुपयों से भरा थैला मिलेगा।” “नहीं!” कल्लू ने तोताराम की बात का प्रतिवाद किया, जो उससे भी अधिक वहमी था, “तुम मुझसे अधिक भाग्यशाली नहीं हो। मुझे विश्वास है, यह आवाज मेरे लिए अधिक भाग्यशाली साबित होगी।
तुम देखना, जरूर मुझे अच्छी-खासी रकम प्राप्त होगी।” खूबसूरत मौसम का मजा लेने के बजाय वे दोनों इसी बात पर लड़ने लगे। तू-तू, मैं-मैं के बाद हाथापाई पर उतारू हो गए। कुछ ही समय में वे बुरी तरह जख्मी हो गए।
दोनों डॉक्टर के पास पहुँचे। डॉक्टर ने उनसे पूछा कि 1. वे आखिर इस स्थिति में पहुँचे कैसे? सारी घटना बयान करने के बाद उन दोनों ने डॉक्टर से पूछा, “आप बताएँ कि कोयल ने किसके भाग्यशाली होने की सूचना दी थी?”
डॉक्टर ने हँसते हुए कहा, “कोयल ने मेरे भाग्यशाली होने की सूचना दी थी। अगर तुम दोनों इसी तरह लड़-झगड़कर हाथ-पैर तोड़ते रहे तो मुझे रुपयों का ढेर तुम्हारे इलाज के एवज में मिलता रहेगा।”
Moral of Kids Story in Hindi – बेकार के झगड़े से दूसरों का ही फायदा होता है।
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समझदारी का परिणाम
विधवा कमला देवी अपनी दो पुत्रियों के साथ बड़ी गरीबी में दिन बिता रही थी। अब तक जो भी जमा-पूँजी उसके पास थी, सब खर्च हो चुकी थी। तिसपर आय का एकमात्र सहारा उसकी गाय भी मर गई। वह बड़ी परेशान थी। आखिर करे क्या? “बस, एक ही रास्ता है, अगर भगवान् हमें कहीं से एक गाय दे दे।” “विश्वास और हिम्मत से काम करो, ईश्वर अवश्य तुम्हारी मदद करेगा।” उनके पड़ोसी ने उनसे कहा।
“पर हम करें क्या?” कमला देवी ने निराशा से भरकर कहा। “तुम अपनी आमदनी बढ़ाओ। तुम सब बहुत अच्छी कढ़ाई-बुनाई जानती हो। प्रतिदिन तीन-चार घंटा यह काम अतिरिक्त करो, ताकि कुछ ऊपरी आमदनी हो सके। उसे जमा करो। दूसरी बात यह कि अपनी चाय का खर्चा कम कर दो। रोज सुबह दलिया बनाकर उसका पानी पियो,
जो स्वास्थ्यवर्धक भी होगा और बचत भरा भी। इस तरह जल्दी ही दूसरी गाय खरीदने के लिए पैसे इकट्ठे हो जाएँगे।” कमला देवी और उसकी पुत्रियों ने अपने पड़ोसी के सुझाव के मुताबिक काम करना शुरू कर दिया। साल के अंत में उनके पास इतना पैसा इकट्ठा हो गया कि वे एक अच्छी गाय खरीद सके।
Moral of Kids Story in Hindi -मेहनत, बचत और समझदारी आदमी के लिए दूसरा ईश्वर है।
सोचने की क्षमता
एक बनिया था। भला था। भोला था। नीम पागल था। एक छोटी सी दुकान चलाता था। दाल, मुरमुरे, रेवड़ी जैसी चीजें बेचता था और शाम तक दाल-रोटी का जुगाड़ कर लेता था। एक रोज दुकान बंद कर देर रात वह अपने घर जा रहा था, तभी रास्ते में उसे कुछ चोर मिले। बनिये ने चोरों से पूछा, “इस वक्त अँधेरे में आप लोग कहाँ जा रहे हैं?” चोर बोले, “भैया, हम तो सौदागर हैं।
आप हमें क्यों टोक रहे हैं?” बनिये ने कहा, “लेकिन एक पहर रात बीतने के बाद आप जा कहाँ रहे हैं?” चोर बोले, “माल खरीदने।” बनिये ने पूछा, “माल नकद खरीदोगे या उधार ?” चोरे बोले, “न नकद, न उधार। पैसे तो देने ही नहीं हैं।” बनिये ने कहा, “आपका यह पेशा तो बहुत बढ़िया है। क्या आप मुझे भी अपने साथ ले चलेंगे?” चोरे बोले, “चलिए।
आपको फायदा ही होगा ।” बनिये ने कहा, “बात तो ठीक है। लेकिन पहले यह तो बताओ कि यह धंधा कैसे किया जाता है?” चोर बोले, “लिखो-किसीके घर के पिछवा….” बनिये ने कहा, “लिखा।” चोर बोले, “चुपचाप सेंध लगाना…” बनिये ने कहा, “लिखा। चोर बोले, “फिर दबे पाँव घर में घुसना…” बनिये ने कहा, “लिखा।” चोर बोले, “जो भी लेना हो, सो इकट्ठा करना…” बनिये ने कहा, “लिखा।” चोर बोले,
“न तो मकान मालिक से पूछना और न उसे पैसे देना…” बनिये ने कहा, “लिखा।” चोर बोले, “जो भी माल मिले उसे लेकर घर लौट जाना।” बनिये ने सारी बातें कागज पर लिख लीं और लिखा हुआ कागज जेब में डाल लिया। बाद में सब चोरी करने निकले। चोर एक घर में चोरी करने घुसे और बनिया दूसरे घर में चोरी करने पहुँचा। वहाँ उसने ठीक वही किया जो कागज में लिखा था। पहले पिछवाड़े सेंध लगाई। दबे पाँव घर में घुसा।
दियासलाई जलाकर दीया जलाया। एक बोरा खोजकर उसमें पीतल के छोटे-बड़े बरतन बेफिक्री से भरने लगा। तभी एक बड़ा तसला उसके हाथ से गिरा और सारा घर उसकी आवाज से गूंज उठा। घर के लोग जाग गए। सबने ‘चोर-चोर’ चिल्लाकर बनिये को घेर लिया और उसे मारने-पीटने लगे। बनिये को ताज्जुब हुआ। मार खाते खाते उसने अपनी जेब में रखा कागज निकाला और उसे एक नजर पढ़ डाला।
फिर तो वह जोश में आ गया। जब सब लोग उसकी मरम्मत कर रहे थे, तब बनिया बोला “भाइयो, यह तो लिखा-पढ़ी से बिलकुल उलटा हो रहा है। यहाँ तो उलटी गंगा बह रही है।” बनिये की बात सुनकर सब सोच में पड़ गए। मारना पीटना रोककर सबने पूछा, “यह तुम क्या बक रहे हो?” बनिये ने कहा, “लीजिए, यह कागज देख लीजिए ।
इसमें कहीं पिटाई का जिक्र है”? घर के लोग तुरंत समझ गए। उन्होंने बनिये को घर से बाहर धकेल दिया।
Moral of Kids Story in Hindi – सोच-विचारकर किया कार्य कभी कष्टदायक नहीं होता।
एकता मे बल होता है
एक वृद्ध पिता अपने तीन पुत्रों के साथ रहता था। तीनों पुत्र बहुत मेहनती थे पर आपस में झगड़ते रहते थे। एक दिन पिता ने सब बच्चों को बुलाया। अपने बड़े पुत्र से पिता ने वह गट्ठर तोड़ने के लिए कहा। पुत्र अत्यंत बलशाली था।
अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी वह उसे तोड़ने में असफल रहा। बारी-बारी से अन्य पुत्रों ने भी अपना जोर आजमाया पर सभी असफल रहे। अब पिता ने गट्ठर को खोलकर उन्हें एक-एक लकड़ी उठाने के लिए कहा। सभी पुत्रों ने गट्ठर में से एक-एक लकड़ी उठा ली।
पिता ने पुत्रों से कहा, “इन्हें तोड़ो।” सबने बड़ी सरलता से अपनी-अपनी लकड़ियाँ तोड़ डालीं और आश्चर्य से पिता की ओर देखने लगे । मुस्कराते हुए पिता ने कहा, “मेरी मृत्यु के पश्चात् तुम सब इसी गट्ठर की तरह इकट्ठे रहना। आपस में कभी लड़ाई नहीं करना।
एकता बनाए रखना। कोई भी शक्ति तुम्हें तोड़ नहीं पाएगी। यदि अलग हो जाओगे तो उस लकड़ी की भांति तुरंत टूट जाओगे।” पुत्रों को बात समझ आ गयी और उन्होंनें प्रेम से साथ रहने का वादा किया।
शिक्षा : एकता में बहुत बल होता हैं।
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स्वतंत्रता की कीमत
वर्षों पुरानी बात है… चीन में एक राजा था। उसके महल के पास में ही एक जंगल था। इस जंगल में रहने वाली एक बुलबुल बहुत ही मीठी आवाज में गाती थी। एक दिन राजा ने अपने मंत्री को उसे लाने का आदेश दिया। मंत्री किसी तरह उसे पकड़ने में सफल हो गया। एक पिंजरे में बंद कर राजा के सामने बुलबुल को लाया गया।
पर कैद हो जाने के कारण बुलबुल उदास हो गई। उसने खाना-पीना-गाना सब छोड़ दिया। कई दिन व्यतीत हो गए। रानी को बुलबुल पर दया आई और उसने पिंजरा खोल दिया। बुलबुल उड़ती हुई अदृश्य हो गई। राजा बुलबुल के संगीत का दीवाना था।
उसने मंत्री से दूसरी चिड़िया लाने के लिए कहा। मंत्री ने राज्य के शिल्पकार से हू-ब-हू वैसी ही मिट्टी की बुलबुल बनवाई जो गाती भी थी। राजा सोने से पहले उसका गाना सुनता था। एक दिन वह गिरकर टूट गई। राजा उदास और बीमार रहने लगा।
एक दिन रानी की कृपा का प्रतिदान देने वही बुलबुल आई और खिड़की पर बैठकर गाने लगी। राजा ठीक होने लगा। अब प्रतिदिन रात को बुलबुल आती, गाना गाती और राजा को सुलाकर चली जाया करती थी।
शिक्षा : स्वतंत्रता अनमोल है।
सावधानी का फायदा
बहुत साल पहले की बात है… पक्षियों का एक झुंड एक खेत के ऊपर से जा रहा था। पक्षियों के झुंड में एक नन्ही अबाबील भी थी। अबाबील अपनी दूरदर्शिता के लिए प्रसिद्ध है। उसने सभी चिड़ियों से कहा, “इस किसान से सावधन रहना। चलो, नीचे चलकर, हम सब मिलकर, सारे बीजों को चुगकर निकाल लेते हैं। किसान सन के बीज बो रहा है।
“ सभी चिड़ियों ने कहा, “तो बोने दो, हमें उससे क्या करना है?” अबाबील ने समझाया, “सन से रस्सियाँ बनाई जाती हैं और फिर उन्हीं रस्सियों से जाल बनाया जाता है जो हम जैसी चिड़ियों तथा मछलियों को पकड़ने के काम में लाया जाता है।
इन्हें निकाल दो अन्यथा पछताओगे । “ अबाबील के कहने पर किसी ने भी उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। थोड़े समय बाद सन में अंकुर फूट गए और पौधे बनने लगे। फसल तैयार हो गई और उससे रस्सी बनाई गई।
रस्सी से जाल बुना गया और वही जाल चिड़ियों को पकड़ने में काम लाया जाने लगा। अबाबील का कहना सही निकला।
शिक्षा : पहले से ही सावधानी बरतना अच्छा होता है।
बुद्धि का बल
बहुत पुरानी बात है… एक टोपीवाला था। वह मस्ती में हाँक लगाता, “टोपियाँ ले लो, टोपियाँ… रंग बिरंगी टोपियाँ, पाँच की, दस की, हर उम्र के लिए टोपियाँ ले लो…” एक शहर से दूसरे शहर टोपियाँ बेचने जाया करता था। एक बार जंगल से गुजरते समय वह थककर एक पेड़ के नीचे विश्राम करने बैठ गया। शीघ्र ही उसकी आँख लग गई।
पेड़ पर ढेर सारे बंदरों का बसेरा था। उन्होंने टोपीवाले को सोते देखा तो नीचे उतर आए और उसकी गठरी खोलकर टोपियाँ ले लीं और वापस पेड़ पर जाकर बैठ गए। सभी टोपियाँ पहनकर खुशी से ताली बजाने लगे। ताली की आवाज सुनकर टोपीवाले की आँख खुल गई। उसने अपनी गठरी खोली और टोपियों को गायब पाया। इधर-उधर देखा पर टोपियाँ नहीं दिखी।
अचानक उसकी दृष्टि पेड़ पर टोपी पहने बंदरों पर पड़ी। टोपीवाले को कुछ सूझा। उसने अपनी टोपी उतारी और नीचे फेंक दी। नकलची बंदरों ने उसकी नकल उतारी और उन्होंने भी अपनी- अपनी टोपियाँ उतारकर नीच फेंक दीं। टोपीवाले ने उन्हें समेटा और गठरी बनाकर खुशी-खुशी हॉक लगाता हुआ चल पड़ा…, “टोपी ले लो भाई, टोपी… रंग बिरंगी टोपी…
शिक्षा : बुद्धिमता मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण निधि है।
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