आज की इस जादुई मजेदार कहानियां short मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है जादुई मजेदार कहानियां short story क्यूंकी जादुई मजेदार कहानियां लिखी हुई पढ्न लोगो को बहुत अच्छा लगता है और जादुई मजेदार कहानियां short पढ़ने से बच्चो को बहुत कुछ सीखने को मिलता है तो चलिए पढ़ते है बिना किसी देरी के जादुई मजेदार कहानियां short
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जादुई मजेदार कहानियां short
जादुई मजेदार कहानियां short story
जादुई मजेदार कहानियां
जादुई मजेदार कहानियां लिखी हुई
लालची भालू ( जादुई मजेदार कहानियां short )
जादुई मजेदार कहानियां short
एक जंगल में एक भालू रहता था एक दिन उसे भूख लगी उसने सोचा चलो जंगल में घूम कर आते हैं और कहीं खाने का बंदोबस्त करते हैं तभी घूमते घूमते उसे एक बहुत बड़ा तालाब दिखाई दिया उसका लव में बहुत मछलियां थी।
फिर वह तालाब में मछली पकड़ने के लिए अंदर गया लेकिन बहुत देर मछली पकड़ने के बाद उसे एक मछली दिखाई दी और उसने उसे मछली को झट से पकड़ दिया लेकिन जैसी ही उसने एक मछली को अपने हाथ में लिया वह मछली बहुत छोटी थी इसीलिए उसने सोचा कि इस छोटी मछली से मेरा क्या होगा इसीलिए उसने उसे मछली को पानी में छोड़ दिया।
फिर क्या था वह दूसरी बड़ी मछली तलाश करने में लग गया बहुत देर तलाश करने के बाद उसे एक और मछली हाथ लगी लेकिन जैसे ही उसने मछली को हाथ में लिया फिर से वह बहुत छोटी मछली थी।
भालू ने सोचा कि इस छोटे से मछली से मेरा पेट थोड़ी बढ़ाने वाला भालू में वह छोटी मछली को तालाब में वापस छोड़ दिया और किसी बड़ी मछली की तलाश में लग गया।
फिर पूरे 2 घंटे भी चुके थे भालू के हाथ में एक भी मछली नहीं आई थी फिर जाकर भालू के हाथ में एक मछली लगी जब भालू ने देखा तो वह भी एक छोटी सी ही मछली थी भालू ने फिर से सोचा इस छोटी सी मछली से मेरा पेट थोड़ी बढ़ाने वाला में से पानी में छोड़ देता हूं और कोई बड़ी मछली पकड़ता हूं।
अब शाम होते आ गई थी और भालू की भूख की वजह से बहुत ही बुरी हालत थी अब भालू अच्छे से मछली भी नहीं पकड़ पा रहा था तभी दूर से उसे एक मगरमच्छ बहुत ही गौर से देख रहा था।
मगरमच्छ पानी में तेजी से तैरते हुए आया और भालू पर झपट लिया और भालू को खाने लगा और थोड़ी ही देर में उसने भालू को खा लिया और भालू को ना मछली मिली बल्कि उसने अपनी जान से हाथ धो बैठा।
इस कहानी से म्यूजिक मिलती है कि जो हमें मिले हमें उससे संतुष्ट रहना चाहिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए।
जादूई मैगी वाला
जादुई मजेदार कहानियां
एक बार की बात है गगनपुर नाम के गांव में रवि नाम का एक लड़का रहा करता था और अभी बहुत ही शानदार और बुद्धिमान लड़का था उसके बुद्धिमानी के गुण सभी गांव वाले गाते थे।
इन पर की बात है रवि रास्ते से गुजर रहा था तभी गांव के सरपंच ने रवि से कहां के रवि बेटा तुम क्या कर रहे हो अभी स्कूल जाना है इस बात पर रवि कहते हैं नहीं सरपंच जी मेरी दुआ भी छुट्टियां लग गई है गर्मियों की दो महीने तो छुट्टी आई है उसके बाद में 11th क्लास में जाऊंगा।
सरपंच जी खुश होते हुए कहते हैं अरे यह तो बहुत ही अच्छी बात है और तुम और आगे पढ़ो और तरक्की करो लेकिन अभी 2 महीने घर पर रहकर क्या करूंगी छुट्टियों में तुम मेरे खेत में आ जाया करो और मजदूरों का हिसाब किताब देख लेना इसके मैं तुम्हें जब बनते हैं वह पैसे दे दूंगा इससे तुम्हारा साइड इनकम भी हो जाएंगे और तुम अपने घर वालों की मदद भी कर सकोगे।
रवि को यह आइडिया बहुत अच्छा लगता है और वह सरपंच जी से कहता है कि मैं अपने परिवार वालों से पूछता हूं और अगर उन्होंने हां कह दिया तो कल सुबह ही आपके खेत में आ जाऊंगा ठीक है सरपंच जी इस बात को मान लेते हैं और चल देते है।
रवि घर जाता है और अपने मन से यह बात कहता है रवि की मां कहती है अरे बेटा यह तो बहुत अच्छी बात है गर्मियों की छुट्टी में तुम कहां इधर-उधर घूम होंगे इससे अच्छा सरपंच जी के खेत में आम के पेड़ के नीचे ठंडी छांव में बैठो मजदूरों का हिसाब किताब लिखो और पैसे कमाओ।
रवि दूसरे ही दिन सरपंच जी के खेत में पहुंच जाता है और मजदूरों का हिसाब किताब लिखना शुरू कर देता है फिर सरपंच जी उसे अपने गोदाम का अपने दुकानों का शहर में जो होटल है उसका सभी का हिसाब किताब लिखवाते है।
और रवि की पगार डायरेक्टली रवि के बैंक अकाउंट में जमा कर देते हैं रवि यह सोचता है कि जब बैंक में अच्छी खासी धनराशि हो जाएगी तभी मैं एक साथ निकलूंगा तब तक मैं बैंक में ही पैसे रहने देता हूं।
अब सरपंच जी का कारोबार बढ़ता है और उन्हें एक अच्छे का की जरूरत पड़ जाती है इसीलिए वह रवि से कहते हैं मैंने अपना हिसाब किताब रखने के लिए एक नया का लगा लिया है जिसके पास डिग्री है और तुम्हारे पास डिग्री नहीं है इसीलिए मैं अब तुम्हें नहीं रख सकता यह सुनकर रवि कहता है ठीक है सरपंच जी कोई बात नहीं और रवि अपने घर चला जाता है।
जब रवि यह बात अपनी मां से कहता है तो रवि की मां कहती है ठीक है बेटा कोई बात नहीं अगर वह नहीं चाहते कि तुम वहां कम करो तो ठीक है मत करो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं रवि कहता है ठीक है मां जी मैं कल बैंक जाऊंगा और देखूंगा कि मैंने कितने पैसे कमाए हैं पिछले दो महीना में।
रवि दूसरे दिन शहर जाता है और अपने अकाउंट के पूरे पैसे निकलवा लेता है वह पूरे 3800 होते हैं यह देखकर, रवि बहुत ही दुखी हो जाता है और अपने घर जाता है।
घर जाकर रवि की मां उसे सलाह देती है कि वह कोई छोटा-मोटा काम शुरू करें इन पैसों से रवि ऐसे ही करता है और एक मैगी की गाड़ी लगा लेता है गांव में।
इस तरह रवि की मैगी की गाड़ी चल पड़ती है और उसके बहुत ही ज्यादा इनकम होने लगती है जिसकी वजह से रवि शहर में एक नहीं होटल खोल लेता है वहां सिर्फ मैगी ही भेजता है अलग-अलग किस्म की और इस तरह वह तरक्की कर लेता है और बहुत ही माल कमा लेता है और आप खुशी-खुशी अपनी जिंदगी चलाता है।
बुढ़िया का जादूई चम्मच
एक छोटा सा गांव था उसे गांव में सभी लोग खेती-बाड़ी किया करते थे और अपने जीवन गुजर बसर करते थे लेकिन वहां पर कोई खाने के लिए होटल नहीं थी जिसकी वजह से लोगों को अच्छा करने के लिए शहर जाना पड़ता था जिसकी वजह से उनके आने जाने में ही बहुत पैसे खर्च होते थे।
लेकिन बहुत से लोगो ने इस गांव में एक ढाबा लगाने की सोची लेकिन सभी वो असफल हो गए क्योंकि वह सभी उधारी में खाना खाते थे और कभी उधारी नही चुका पाते थे गरीबी के कारण इसी लिए कोई ढाबा नही चला पाता था।
इसीलिए वहां पर कोई ढाबा नहीं खुलता था एक बार वहां एक बुढ़िया रहती थी वह बुढ़िया ने सोचा कि मैं यहां सभी को खाना खिलाऊंगी और उसने अपने सारे गाय भैंस भेज दी और वहां एक ढाबा खोल दिया।
और वहां जो चाहता हूं उधारी रखता था और बोली अम्मा किसी को कुछ नहीं रहती एक बार एक बहुत भूखा आदमी वहां आया और कहने लगा कि मुझे थोड़ा खाना चाहिए लेकिन उधर मेरे पास पैसे नहीं है उसे सच में बहुत भूख लगी थी।
उसने कहा ठीक है तुम खा सकते हो और तुम पैसे नहीं भी दिए तो चलेंगे उसने वह खाना खाया और उसके पास एक चम्मच था वह चम्मच दे दिया खाने के बदले में।
बुढ़िया को पता नहीं था कि वह आदमी जादुई रूप बदल कर आया है और उसने वह जादुई चम्मच दिया है बुढ़िया को बुढ़िया को चम्मच अपने खाना बनाने में इस्तेमाल करने लगती है लेकिन वह चम्मच जादूई होता है और जैसे ही उसे चम्मच से पतीले में से कोई भी सब्जी निकलते हैं तो सब्जी खाली नहीं होती और पाटिल भरो का भरा रहता है।
इसके वजह से बुढ़िया का खाना खत्म नहीं होता और वह बच्चे घर से पैसे पैसे कमा लेती है जबकि बहुत सारे लोग उसे उधर खाना खा लेते हैं इसी तरह जादुई चम्मच के वजह से बुढ़िया बहुत सारे पैसे भी कमा लेती है और उसका ज्यादा खाना खत्म भी नहीं होता।
जादुई घोड़ा गाड़ी
एक बार की बात है महेश कुछ काम से शहर गया हुआ था शहर जाने के बाद उसे बहुत ही धूप लगने लगी तो उसने सोचा कि कहीं जाकर नींबू पानी पीते हैं नींबू पानी पीने के लिए वह दुकान गया।
रोहन जाकर उसने दो गिलास नींबू पानी पिया ठंडा ठंडा नींबू पानी पीने के बाद महेश को बहुत अच्छा लगा और उसने यह सोचा कि काश मेरे पास कुछ ज्यादा पैसे होते तो मैं शहर में आकर रहता लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है इसीलिए मैं गांव में ही रहूंगा अब।
अबुजम गांव जाता है तो उसे समझ नहीं आता कि वह कैसे पैसे कमाए तभी वह उसके भाई से ₹2000 उधार लेता है और एक घोड़ा किराए पर लाता है और घोड़ा चलता है घोड़ा चलते चलते उसे थोड़े बहुत पैसे मिलते हैं।
लेकिन उसे पता चलता है कि उसके गांव में कोई भी होटल नहीं है और बहुत सारे लोग नाश्ता करना चाहते हैं और नाश्ता करने के लिए किसी को नहीं मिलता है।
फिर वह यह रिश्ता क्या करता है कि उसके घोड़ा गाड़ी में नाश्ते की दुकान लगाएगी और एक छोटा सा ढाबा लगाएगी और छोटा सा ढाबा लगाने के बाद वह लोगों को खाना खिलाता है।
और इसी तरह वह भी तरक्की करने लगता है और घोड़ा गाड़ी में ही ढाबा बना लेता है और टेस्टी टेस्टी खाना सभी को खिला है और बहुत पैसे कमा लेता है।
जादूई झोपड़ी में महल
एक बार की बात है एक शहर में बहुत सारे घर थे और इस शहर में मोहल्ला था उसे मोहल्ले में बहुत सारे घर थे और लेकिन उसमें से एक घर कच्चा था और घास फूस का बना हुआ था।
उसे घर में श्यामू रहता था श्यामू एक गरीब था इसीलिए उसका घर भी कक्षा था और घास फूस का था लेकिन बाकी सभी मोहल्ले में घर पक्के थे और बिल्डिंग थी बड़ी-बड़ी इसीलिए सारे लोग श्यामू का मजाक उड़ाते थे और उसे गलत सलात कहां करते थे।
जिसकी वजह से श्यामू किसी से बात नहीं करता था और अपने काम से काम रुकता था और सारे आसपास पड़ोस के लोग उससे बात नहीं करते थे इसलिए कि उसका एक छोटा सा घर है।
एक बार जब शहर में बहुत बारिश आई तो एक साधु बाबा ठहरने के लिए घर तलाश कर रहे थे लेकिन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग वाले उन्हें रहने के लिए जगह नहीं दे रहे थे तभी श्यामू ने कहा बाबा जी मेरे घर में लिए मेरी छोटी सी झोपड़ी है आपको चलेगा तो साधु बाबा कहते हैं ठीक है बेटा और साधु बाबा रात भर श्यामू के झोपड़ी में आराम करते हैं बारिश से बचने के लिए।
सुबह जब बारिश बंद हो जाती है तो साधु बाबा श्यामू से कहते हैं मुझे बड़ी-बड़ी बिल्डिंग वालों ने आसार नहीं दिया रखने के लिए लेकिन तुमने मुझे यहां रखा इसका बहुत-बहुत धन्यवाद और श्यामू को साधु बाबा एक आशीर्वाद देते हैं कि तुम्हारा यह कच्चा घर महल बन जाएगा अंदर से और सच में श्यामू का घर झोपड़ी रहता है बाहर से लेकिन अंदर से महल जैसा बन जाता है।
सारे मोहल्ले के लोग श्यामू के घर को देखकर आश्चर्य करते हैं और सभी यह सोचते हैं कि काश साधु बाबा को हम रहने के लिए जगह दे देते लेकिन अब शाम की किस्मत पलट गई थी श्यामू ने वह घर एक करोड रुपए का बेच डाला और शहर में चार-पांच मकान खरीद लिए एक मकान में वह रहता और बाकी को किराए से चढ़ा दिया इसी तरह श्यामू की जिंदगी बदल गई रातों रात।
Code : QUCUWA750
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जादुई मजेदार कहानियां
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