कंजूस सेठ की दावत की कहानी मे आप लोगो को बहुत मज़ा आने वाला है क्यूंकी इसी तरह की कहानियो से बच्चो का दिल बहुत लुभता है और उन्हे बहुत मज़ा आता है ।
कंजूस सेठ की दावत
गगनपुर नाम के गांव में एक बहुत ही धनी सेठ रहा करता था जिसका नाम कल्लू मल सेट था कल माल सेठ बहुत ही कंजूस था उसके कंजूसी के किस पूरे गांव भर में मशहूर थे।
एक बार की बात है जब कंजूस कल्लू मल सेठ को एक बहुत बड़ा काम मिला वह काम जंगल में था जंगल के एक आदमी ने कंजूस सेठ को एक बहुत बड़ा काम यह दिया कि वह एक गोदाम बना रहे थे सामान रखने के लिए।
और जब कंजूस सेठ को पता चला कि यह काम उन्हें मिलने वाला है और उन्हें इस काम के पूरे एक करोड रुपए मिल रहे हैं जबकि इस काम को करने में 50 लख रुपए का खर्चा आएगा। और ₹50 लख रुपए का मुनाफा आएगा और काम केवल 6 महीने का है।
यह सुनते ही कंजूस सेठ के आंखें बड़ी हो गई और उसमें यह तय कर लिया कि वह यह काम लेकर ही रहेगा।
वह गांव के सरपंच के पास गया और कहा मैं तुम्हें ₹1000000 दूंगा मुझे यह काम मिलना चाहिए सरपंच कोई भी 10 लख रुपए मिल रहे थे तो उन्होंने यह काम कंजूस सेट को दे दिया।
कानूनी दस्तावेज बनाए गए और कंजूस सेठ ने कहा कि मैं गोदाम 6 महीने में तैयार कर दूंगा और तय करने के अनुसार कंजूस सेट को एडवांस में 50 लख रुपए मिले।
अब कंजूस सेठ ने अपने गांव के और आसपास के गांव के लोगों में यह ऐलान कर दिया के मुझे गोदाम बनाने के लिए मजदूर चाहिए और उसे समय एक मजदूर की कीमत ₹200 थी लेकिन कंजूस सेठ ने कहा कि मैं सभी को ₹300 रोज दूंगा मजदूरी।
और कंजूस सेठ को गोदाम बनाने के लिए 50 मजदूरों की जरूरत थी तो एक ही दिन में 50 मजदूर जमा हो गए कंजूस सेठ के पास क्योंकि सभी को तीन-तीन सो रुपए रोज मिल रहा था जबकि दूसरी जगह ₹200 रोजी मजदूरी थी और पूरे 6 महीने के लिए तो सभी 50 मजदूर कंजूस सेठ के घर पर जमा हो गए।
अब क्योंकि 6 महीने में ही गोदाम बनाना था इसीलिए कंजूस सेठ ने मजदूरों में ऐलान करवाया के जंगल से आने-जाने में 2 घंटे से 3 घंटे लग जाते हैं इसीलिए हम वहां पर ही छोटी-छोटी झोपड़ियां बनाएंगे और वहीं पर ही रहेंगे और वहीं पर ही काम करेंगे गोदाम का।
तभी एक मजदूर कहने लगा कि हमारे खाने पीने की और रहने की व्यवस्था कर दीजिए आप हम वही रहेंगे गोदाम बने तक6 महीने के लिए।
कंजूस सेठ वैसे ही करता है और वह जंगल में एक बहुत ही बड़ी झोपड़ी बनता है और सभी मजदूरों को उसके अंदर रखना है लेकिन जल कंजूस से सभी के खाने का बजट लगता है तो 6 महीने में 50 मजदूरों का खाना ₹1000000 का हो जाता है।
यह बात कंजूस सेठ के दिमाग को बहुत खटकती है और वह यह तय कर लेता है कि 10 लख रुपए का खाना नहीं खिलाऊंगा बल्कि ₹100000 का खाना ही खिलाऊंगा।
फिर वह तरकीब लगने लगता है कि कैसे मजदूरों के खाने के बजट को काम किया जाए वह बहुत सोचता है लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिलता है।
फिर वह कुछ सामान लेने के लिए शहर जाता है और शहर में उसे बहुत टाइम हो जाता है और इसीलिए वह खाना खाने के लिए होटल में जाता है और होटल में खाना वह खा रहा होता है तभी होटल का मालिक एक मीटर से कहता है कि जो कल का बासी खाना है वह गरीबों में जाकर बांट दो।
यह सुनने के बाद कंजूस सेट होटल के मालिक से कहता है कि यह खाना कितने रुपए का है यह सुनकर होटल का मालिक रहता है वैसे तो यह खाना ₹5000 का है लेकिन अब यह बासी हो गया है इसीलिए हम गरीबों में बांट देते हैं फ्री में।
कंजूस सेठ कहेता है कि कौन से गरीब तो होटल का मालिक करता है वही जो सिग्नल के ऊपर बैठते हैं या नहीं मांगते हैं उन्हें हम यह खाना दे देते हैं उनसे उनका पेट भर जाता है और हमारा बसी खाना निकल जाता है।
तभी कंजूस सेठ के दिमाग में एक आइडिया आया उसने सोचा कि अगर मैं यह होटल का बासी खाना अपने मजदूरों को खिलाओ तो मजदूर तो खुश हो जाएंगे क्योंकि उन्हें होटल का खाना मिल रहा है और यह होटल वाला मुझे फ्री में खाना देना इसीलिए मुझे ₹1 भी खर्च करना नहीं पड़ेगा और मैं मजदूर को खाना खिला पाऊंगा और मेरे 10 लाख रूपए बच जाएंगे और मुझे केवल शहर से गांव ले जाने का सिर्फ भाड़ा लगेगा।
यह सोचने के बाद कंजूस सेठ होटल के मालिक से कहता है मैं गगनपुर नाम के गांव में रहता हूं वहां बहुत गरीबी है लोग भूखे सो जाते हैं लेकिन मैं उनके लिए कुछ करना चाहता हूं क्या आप मुझे रोज खाना दे देंगे एक-दो दिन का बच्चा हुआ ताकि मैं अपने गांव वालों में जाकर बाट दू।
यह सुनकर होटल का मालिक कहता है यह तो बहुत अच्छी बात है लेकिन तुम्हें यहां से गांव ले जाने का भाड़ा लग जाएगा यह सुनकर कंजूस सेट कहता है मैं यह भाड़ा बर्दाश्त करने को राजी हो यह सुनने के बाद होटल का सेट करता है ठीक है तुम रोजाना मेरे यहां से खाना ले जा सकते हो बचा हुआ।
गोदाम का काम शुरू होता है और मजदूरों का रहने का इंतजाम भी हो जाता है पहले ही दिन कंजूस सेट एक टेंपो वाले से सौदा कर लेता है कि 6 महीने तक तुम्हें उसे होटल से खाना लाना होगा गांव में और तुम्हें इसके लिए ₹50000 मिलेंगे यह सुनने के बाद टेंपो वाला कहता है सेट तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या काम से कम ₹200000 लगेंगे।
यह सुनने के बाद कंजूस सेट करता है 2 लाख कैसे टेंपो का मालिक कहता है ₹100000 का तो मुझे डीजल ही लग जाएगा मैं क्या कमाऊं तुम्हें अगर पुर्ता है तो कहो नहीं तो मैं चला।
तभी कंजूस सेथ हिसाब लगता है कि मुझे खाने के पैसे थोड़ी लग रहे हैं सिर्फ खाना लाने की ही पैसे लग रहे हैं ना और वैसे भी मुझे 50 लख रुपए का मुनाफा हो रहा है ₹200000 चली भी जाएंगे तो 48 लख रुपए मुझे बचेंगे।
तभी कंजूस से टेंपो ड्राइवर को हां कर देता है और उसे ₹100000 एडवांस दे देता है टेंपो ड्राइवर होटल में जाता है और एक दिन पुराना बचा हुआ खाना ला लेता है और कंजूस सेठ को दे देता है।
कंजूस सेठ गोदाम में जाता है और सभी मजदूरों का आवाज लगता है कि चलो खाना खाने का वक्त हो गया और सभी को लाइन में लगाकर सभी को खाना बनता है सभी मजदूर बहुत खुश हो जाते हैं उन्हें लगता है कि कंजूस सेट में खाना होटल से मंगवाया है लेकिन उन्हें क्या पता कि यह खाना एक दिन पुराना है।
सभी मजदूर खाना खाने लगते हैं और खाना खाने के बाद सो जाते हैं और कंजूस सेठ उसने अपने लिए अलग से खाना लाया था वह खाता है और वह भी वहां पर सो जाता है।
कुछ दिन ऐसे ही चलता है लेकिन एक बार होटल वाला तीन दिन पुराना हलवा दे देता है और कंजूस से मजदूरों से करता है कि आज तुम्हारे लिए मैं हवा लाया है जबकि वह हलवा तीन दिन पुराना होता है।
मजदूर बहुत खुश हो जाती है कि उन्हें हलवा खाना मिल रहा है लेकिन उन्हें क्या पता कि यह हवा तीन दिन पुराना है सभी मजदूर पेट भरकर हवा खाते हैं और कंजूस सेठ भी लालच में आकर हलवा खा लेता है।
लेकिन जैसे ही सुबह होती है सभी मजदूरों का पेट बिगड़ जाता है और आधे से ज्यादा मजदूरों की तबीयत खराब हो जाती है।
और जबकि कंजूस सेठ ने भी वह हलवा खाया था इसीलिए कंजूस सेठ कभी पेट खराब हो जाता है और पेट दुखने लगता है तभी कंजूस सेठ वहां पर ही अस्पताल की एक एंबुलेंस बुलाते हैं और सभी वहीं पर ही मजदूरों का ट्रीटमेंट करते हैं।
सभी मजदूरों को और कंजूस सेठ को ठीक होने में 8 दिन लग जाते हैं और बहुत ही तकलीफ होती है उन्हें 8 दिन तक।
कंजूस सेठ को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और इसके बाद वह कभी होटल से पुराना खाना नहीं लाता बल्कि वहीं पर ही ताजा खाना बनवाता है और दो बावर्ची भी रख लेता है खाना बनाने के लिए।

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