आज की बच्चों की रात की कहानियां मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है गरीब ब्रेड पकोड़े वाला की कहानी क्यूंकी बच्चों की रात की कहानियां मे सभी को इसी तरह की कहानी पढ्न पसंद होती है तो चलिये चलिये बिना किसी देरी के शुरू करते है बच्चों की रात की कहानियां
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बच्चों की रात की कहानियां
Baccho Ki Raat Ki Kahaniya New 2024
गरीब ब्रेड पकोड़े वाला
सज्जनपुर गांव में राहुल नाम का एक लड़का रहा करता था राहुल बहुत ही मेहनती ईमानदार और शांत स्वभाव का था।
राहुल ने ग्रेजुएशन किया था लेकिन फिर भी उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही थी जिसकी वजह से वह गांव में उदास घूमता था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह पैसे कमाए और अपने परिवार का हाथ बटाए खर्चे में।
एक दिन राहुल किसी काम से शहर गया गया था शहर जाने के बाद उसका काम जल्दी से हो गया लेकिन गांव के लिए बस नहीं थी इसलिए उसे बस स्टॉप पर ही रुकना पड़ा वहां बैठे-बैठे उससे बहुत भूख लग गई।
तभी उसने आसपास के लोगों से पूछा कि यहां नाश्ता कहां मिलेगा उसे कहां गया कि यहां से थोड़ी दूर एक चौक है वहां पर ही नाश्ते की दुकान लगती है।
राहुल जब वह चौपाटी पर गया तो देखा कि वह बहुत सारे ठेले लगे हुए थे जिसमें नूडल्स , मैगी , समोसे कचोरी , सांभर वाड़ी और ब्रेड पकोड़े के ठेले थे।
राहुल ने पहली बार ब्रेड पकोड़ा देखा था इसलिए उसका दिल हुआ कि वह ब्रेड पकोड़ा है उसे दिन जैसे ही ब्रेड पकोड़ा देख खाया उसे वह बहुत ही स्वादिष्ट लगा और उसने फिर एक और लिया उसे एक ब्रेड पकोड़ा ₹20 में मिला था इसीलिए उसमें दो ब्रेड पकड़े हैं तो उसे ₹40 देना पड़े।
ब्रेड पकोड़े के ठेले के ऊपर एक कागज लगा हुआ था जिसके ऊपर लिखा हुआ था कि काम करने के लिए लड़के चाहिए और राहुल ने सोचा कि मैं थोड़े दिन यहां काम करता हूं इतने स्वादिष्ट ब्रेड पकोड़े बनाना सीख जाता हूं और इसके बाद मैं गांव में ठेला लगाऊंगा और वहां ब्रेड पकोड़ा बेचूंगा जिससे मुझे बहुत ही मुलाकात होगा।
राहुल उसे ब्रेड पकोड़े वाले से कहता है भैया क्या तुम्हारे यहां काम करने के लिए लड़का चाहिए ब्रेड पकोड़े वाला कहता है हां मुझे अर्जेंट एक लड़का चाहिए राहुल कहता है कि आप कितना पगार डॉग ग्रेट पकोड़ा वाला कहता है मैं ₹6000 दूंगा महीने के।
राहुल कहता हूं ठीक है मैं आपके यहां काम करने के लिए तैयार हूं लेकिन मैं गांव में रहता हूं मुझे आने-जाने के लिए अलग से पैसे लगेंगे ठेले फलक करता है तुम कहां रहते हो राहुल करता है मैं सज्जनपुर में रहता हूं।
ठेले वाला कहता है ठीक है मैं तुम्हें महीने की बस की पास निकाल कर दूंगा जिसकी वजह से तुम्हें बस की टिकट नहीं निकालनी पड़ेगी सीधा रोज बस पास बता दो और तुम्हारा काम हो जाएगा बोलो कब से काम पर आते हो।
राहुल कहता है ठीक है मैं कल से ही काम पर आता हूं, और यह कहकर राहुल ठेले वाले को दो पकौड़े के ₹40 देते हैं तो ठेले वाला कहते हैं नहीं अब तुम्हारे पास रहने दो कल से तो तुम यही काम करने वाले हो ना इसलिए यह पकोड़े मेरे तरफ से फ्री।
राहुल घर जाता है और घर जाने के बाद अपने पिता से होता है कि मुझे शहर में एक जगह नौकरी मिली है लेकिन वह यह नहीं बताता की ब्रेड पकोड़े के ठेले पर नौकरी मिली है घर वाले खुश हो जाते हैं और दूसरे दिन से राहुल ठेले पर काम करने के लिए आ जाता है।
क्योंकि राहुल बहुत ही मेहनती और होशियार लड़का था इसीलिए वह बहुत अच्छे से काम किया करता था और ठेले वाला उससे बहुत खुश रहता था बहुत ही जल्दी उसने ठेले वाले का दिल जीत लिया था।
और अब जब ठेले वाला बाहर जाता तो राहुल पूरा ठेला सामान्य था तो उसे बहुत ही अच्छे और टेस्टी ब्रेड पकोड़ा बनाना आ चुका था।
अब राहुल को काम करते हुए 6 महीने हो चुके थे, और उसके पास अच्छे खासे पैसे भी जमा हो गए थे। इसीलिए राहुल ठेले वाले से कहता है भैया मेरे पिताजी ने एक खेत लिया है काम करने के लिए और मजदूर नहीं मिल रहे हैं गांव में और हमारा सारा बीज बो दिया है जमीन में इसलिए मुझे काम करने के लिए गांव जाना पड़ेगा और मैं ठेके पर नहीं आ पाऊंगा।
पहले वाला कहता है तो फिर मैं ठेले पर अकेला रह जाऊंगा तो राहुल कहता है मनीष का इंतजाम कर दिया है पास ही के एक लड़के को राहुल ने मना लिया था ठेले पर काम करने के लिए पहले वाला कहते हैं ठीक है यह तुमने अच्छा काम किया और राहुल वहां से चला जाता है।
अब राहुल जो उसने पैसे जमा किए थे उससे एक थैला खरीदा है और ब्रेड पकोड़े बनाने का सामान लाता है और एक गैस सिलेंडर और एक सिगड़ी भी लाता है और यह सारी चीजों से वह एक ब्रेड पकोड़े का ठेला लगा लेता है गांव के चौक पर।
लेकिन वह इस बात से परेशान था कि वह ₹20 का एक ब्रेड पकोड़ा कैसे बेच पाएगा गांव में तो उसने सोचा कि पहले मैं ₹10 का ग्रेड का पूरा बेचता हूं बाद में ₹20 का बेचूंगा।
लेकिन जब उसने भी हिसाब लगाया कि उसे एक ब्रेड पकोड़ा बनाने में साथ रुपए लग रहे हैं तो वह अगर 10 का बीच होगा तो उसे ₹3 बचेंगे जो बहुत कम थे फिर उसने तय किया वह ₹15 का एक ब्रेड पकोड़ा बेचेगा।
और फिर वह गांव में ठेला लगा लेता है और गांव के हर घर में जाकर इसके ठेले का प्रचार कर लेते हो एक हफ्ता तो उसके यहां गिरा कि नहीं होती लेकिन जिस दिन गांव में बाजार होता है इस बाजार पर भी राहुल ठेला लगा लेता है और ठेले पर काम करने के लिए उसके दो दोस्तों को रख लेता है यह कहकर कि मैं तुम्हें शाम में₹100 दे दूंगा।
गांव के लोगों को पता नहीं होता कि ब्रेड पकोड़ा क्या होता है लेकिन जैसा ही वह टेस्ट करते हैं राहुल का ब्रेड पकोड़ा तूने बहुत ही टेस्टी लगता है क्योंकि राहुल ने 6 महीने वही सिखा था कि टेस्ट टिकट पकोड़ा कैसे बनाया जाता है।
इसी तरह अब राहुल के यहां दूसरे गांव से भी लोग पकोड़ा खाने के लिए लेकर जाते हैं आजकल भी लेकर जाते थे और कल वही खाता भी थे इससे राहुल का बिजनेस बहुत ही बढ़ गया और राहुल रोज 500 से भी ज्यादा ब्रेड पकोड़े बेचने लगा इसी तरह उसका बहुत ही धंधा चलने लगा।
अब राहुल ने अपना एक खेल पड़ोस के गांव में भी लगा लिया था वहां वह अपने पिताजी को रखता था धंधा चलाने के लिए इसी तरह राहुल ने अपनी मेहनत लगन पर ईमानदारी से अपना धंधा बना लिया और सुख शांति से रहने लगा।
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