आज की छोटी कहानी इन हिन्दी मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी लिखी हुई क्यूंकी सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी लिखी हुई इस कहानी से हमारी बचपन की याडे जुड़ी हुई है और इसी तरह की मज़ेदार कहानिया पढ्न खास तौर पर बच्चो को बहुत ही ज़्यादा पसंद होता है तो चलिये शुरू करते है बिना किसी देरी के सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी लिखी हुई
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सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी लिखी हुई
हरि नाम का एक आदमी था। उसे खेती-बाड़ी करने का बहुत शौक था, लेकिन उसके माता-पिता और सभी रिश्तेदार शहर में रहते थे। उसके बचपन से ही खेती करने का बड़ा मन था, इसलिए उसने यह बात अपने पिता से कही।
हरि के पिता ने कहा, "हमारे गांव में एक 10 एकड़ जमीन है। अगर तुम खेती करना चाहते हो तो गांव में जाकर खेती कर सकते हो। इससे हमें समाजिक फायदा भी मिलेगा और तुम्हारी तमन्ना भी पूरी हो जाएगी।"
हरि ने यह बात अपनी बीवी, सविता को बताई, लेकिन सविता गांव जाने के लिए तैयार नहीं थी। उसने कहा, "मैं गांव में जाऊंगी तो मैं धूल-मिट्टी की वजह से काली हो जाऊंगी और वहां बहुत धूल होती है। अगर तुम्हें जाना है तो तुम जाओ।"
हरि को समझ नहीं आ रहा था कि वह सविता को कैसे मनाए। तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आया। उसे पता था कि सविता बहुत लालची है, इसलिए उसने सविता को मनाने के लिए कहा, "तुम्हें पता नहीं है, गांव में जो हमारी 10 एकड़ जमीन है, वह ₹60 लाख की है।
अगर हम वहां जाकर खेती करेंगे और काम करेंगे, तो कुछ महीनों में ही पिताजी वह जमीन हमारे नाम कर देंगे।"
यह सुनकर सविता ने कहा, "ऐसे कैसे वह हमारे नाम कर देंगे?"
हरि ने कहा, "मैं उनसे कहूंगा कि हमें सरकारी स्कीम मिलने वाली है, लेकिन वह स्कीम हमें तभी मिलेगी जब वह जमीन मेरे नाम पर होगी।
इसलिए पिताजी वह जमीन मेरे नाम कर देंगे और हम उसके मालिक बन जाएंगे, मतलब 60 लाख रुपए के मालिक बन जाएंगे।"
यह सुनकर सविता की आंखें चमकने लगीं और उसने तय कर लिया कि वह गांव में जाएंगी और खेती करेंगी।
उसी दिन से हरि ने सारी तैयारी करनी शुरू की। गांव में जाने के लिए एक टैक्सी और एक छोटा ट्रक बुक कर लिया। फिर सारा सामान लेकर हरि अपनी पत्नी के साथ गांव के लिए चल दिया। गांव में पहुंचते ही उसने देखा कि उनकी जमीन पर एक बड़ा सा घर बना है, जिसमें दो कमरे और बाहर बहुत सारा आंगन है।
गांव में पहुंचते ही हरि का बचपन का दोस्त मोहन वहां आ गया। मोहन ने हरि का स्वागत किया और कहा, "तुम्हारा यहां आना हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। गांव में बहुत समय से किसी ने खेती नहीं की, तुम्हारे आने से गांव का विकास होगा।"
हरि की पत्नी सविता ने कहा, "कितना सारा काम और साफ-सफाई मैं नहीं करने वाली।"
हरि ने कहा, "ठीक है, मैं गांव में जाकर दो-तीन लोग लाता हूं काम करवाने के लिए। हम उन्हें कुछ पैसे दे देंगे।"
यह सुनकर सविता ने कहा, "हाँ, और एक बाई भी लाना खाना बनाने के लिए।"
हरि ने कहा, "यहां सभी औरतें खेतों में काम करने जाती हैं। देखता हूं अगर कोई औरत मिली तो मैं ले आऊंगा, वरना खाना तुम्हें ही बनाना पड़ेगा।"
सविता ने कहा, "ठीक है, ₹60 लाख के लिए मैं इतना तो कर सकती हूं," और दोनों जोर से हंसने लगे।
दिन गुज़रने लगे और अब सविता का खेती में मन लगने लगा। एक दिन उसने अपने पति से कहा, "हम खेती तो कर रहे हैं, क्यों न हम थोड़े जानवर और मुर्गियां पाल लें।"
हरि ने कहा, "यह तो बहुत अच्छा विचार है।"
हरि बाजार में जाकर दो गाय, दो बकरियां और दो मुर्गियां लेकर आया।
हरि और सविता के साथ मोहन और उसकी पत्नी गीता भी खेती के काम में मदद करने लगे। गीता ने सविता को सिखाया कि कैसे गायों का दूध निकालना है और बकरियों की देखभाल करनी है। दोनों महिलाएं जल्दी ही अच्छी दोस्त बन गईं और मिलकर काम करने लगीं।
दूसरे दिन हरि की पत्नी सविता ने कहा, "आज तुम खाने में क्या खाओगे?"
हरि ने कहा, "आज मेरा अंडे का आमलेट खाने का बड़ा मन है।"
यह सुनकर सविता ने कहा, "हाँ, अभी मैंने मुर्गी को अंडा देने के लिए अंदर रखा है। जैसे ही वह अंडा देगी, मैं आपके लिए गरम-गरम आमलेट बनाकर लाती हूं।"
हरि की बीवी जब मुर्गी के पास गई तो देखकर दंग रह गई, क्योंकि मुर्गी ने सोने का अंडा दिया था। सविता ने चिल्लाकर हरि को बुलाया और कहा, "देखो, मुर्गी ने अंडा दिया है और इसका रंग सोने के जैसा है।"
हरि ने अंडा उठाकर देखा और कहा, "यह अंडा ही सोने का है।"
सविता ने कहा, "इसका मतलब है कि यह मुर्गी सोने का अंडा देती है।"
दोनों यह सुनकर बहुत खुश हो गए और मुर्गी रोजाना एक-एक सोने का अंडा देती रही।
हरि और सविता ने सोने के अंडों को एक सुरक्षित जगह पर छुपा दिया। उन्होंने तय किया कि वे जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएंगे और समझदारी से काम करेंगे।
इस बीच, हरि ने गांव के अन्य किसानों से मिलकर नई तकनीकों के बारे में सीखा और अपनी खेती में सुधार किया। सविता ने भी गांव की औरतों के साथ मिलकर एक सिलाई कक्षा शुरू की, जिससे गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें।
15 दिन गुज़र गए और हरि और उसकी बीवी के पास 15 सोने के अंडे हो गए। सविता, जो कि लालची थी, अपने पति से कहने लगी, "तुम एक काम करो, सुनार की दुकान पर जाकर देखो कि एक अंडा कितने का बिकेगा।"
हरि अगले दिन शहर गया और सुनार को अंडा दिखाया। सुनार ने अंडा ₹1,00,000 में खरीद लिया। हरि खुशी-खुशी घर आया और अपनी बीवी के हाथ में ₹1,00,000 देकर कहा, "एक अंडा एक लाख रुपए का बिका है।"
सविता ने कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है। इसका मतलब है कि अभी हमारे पास 14 अंडे हैं तो हमारे पास 14 लाख रुपए हैं।"
कुछ दिन और गुज़र गए। सविता ने कहा, "हम कब तक एक-एक अंडा जमा करते रहेंगे? क्यों न हम मुर्गी को काटकर उसके पेट से सारे अंडे निकाल लें? इससे हम बहुत अमीर बन जाएंगे।"
हरि अपनी पत्नी की बातों में आ गया और छुरी से मुर्गी को काट दिया। तब उसने देखा कि मुर्गी के पेट में तो कुछ भी नहीं था। तब उसे समझ में आया कि उसने लालच में आकर यह कदम उठाया, जो उसे भारी पड़ गया।
दोनों पति-पत्नी अपनी मूर्खता पर बहुत रोए और उन्हें पता चल गया कि उन्होंने अपनी ही किस्मत को ठोकर मारी है। यह सोचते हुए दोनों बहुत उदास हो गए और उन्होंने तय किया कि वे कभी लालच नहीं करेंगे।
हरि और सविता ने गांव में अपनी मूर्खता की कहानी बताई और अन्य लोगों को भी लालच से बचने की सलाह दी। गांव के लोग उनकी कहानी से प्रेरित हुए और सबने मिलकर अपने-अपने खेतों में मेहनत करनी शुरू की।
हरि और सविता ने अपनी बाकी की जिंदगी गांव में गुजारने का फैसला किया। उन्होंने गांव के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला और खुद भी पढ़ाने लगे। उनकी मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें गांव में एक आदर्श दंपत्ति बना दिया।
गांव में हर साल एक बड़ा मेला लगता था, जहां हरि और सविता की कहानी सुनाई जाती थी, ताकि लोग लालच के दुष्परिणाम से अवगत हो सकें। इस मेले में हरि और सविता के बच्चों ने भी हिस्सा लिया और वे भी अपने माता-पिता की तरह मेहनत और ईमानदारी का संदेश फैलाने लगे।
हरि और सविता ने अपने बच्चों को भी मेहनत और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। उनके बेटे राजू और बेटी गीता ने भी अपने माता-पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए गांव की उन्नति के लिए काम किया।
राजू ने गांव में एक कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई, जहां सभी किसान अपनी उपज बेच सकते थे और एक-दूसरे की मदद कर सकते थे। गीता ने गांव की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया और उन्हें कई तरह की ट्रेनिंग दी।
गांव के लोगों ने हरि और सविता की सराहना की और उन्हें एक सम्मानजनक स्थान दिया। हर साल जब मेला लगता था, तो हरि और सविता की कहानी सुनाने के बाद गांव के लोग उन्हें सम्मानित करते थे।
हरि और सविता की कहानी ने न केवल उनके गांव को, बल्कि आस-पास के कई गांवों को भी प्रेरित किया। उनकी मेहनत, ईमानदारी और लालच से बचने की सीख ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी।
हरि और सविता ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने हमेशा सच्चाई और मेहनत का साथ नहीं छोड़ा। उनकी यह कहानी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है और एक प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
इस तरह, हरि और सविता की कहानी ने साबित कर दिया कि सच्चाई और मेहनत से बढ़कर कुछ नहीं है।
लालच हमें बर्बाद कर सकता है, लेकिन ईमानदारी और मेहनत हमें सफल बना सकती है। हरि और सविता ने अपने जीवन में इस सीख को अपनाया और दूसरों को भी प्रेरित किया।
कहानी से मिलने वाली सीख: हमें कभी लालच नहीं करनी चाहिए क्योंकि लालच बुरी बला होती है। मेहनत और ईमानदारी से ही सफलता मिलती है और असली खुशी भी।
हरि और सविता की कहानी ने यह साबित कर दिया कि सच्चाई और मेहनत से ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
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