आज हम पढ़ने वाले है मोटिवेशनल कहानी छोटी सी क्यूंकी मोटिवेशनल कहानी छोटी सी पढ़ने से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है और इसे पढ़ने से हमे बहुत आनंद भी आता है । ये मोटिवेशनल कहानी छोटी सी है एक शेर की जो अपने आप पर बहुत गर्व करता है की वो जंगल का राजा है और फिर उसे एक मगरमच मज़ा चखा देता है तो चलिये पढ़ते है मोटिवेशनल कहानी छोटी सी
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मगरमच्छ और शेर
एक बार की बात है, एक घना और विशाल जंगल था, जहाँ एक खूंखार शेर रहता था। यह शेर इतना ताकतवर और भयानक था कि जंगल के सारे जानवर उससे थर-थर कांपते थे। शेर का घमंड भी सातवें आसमान पर था क्योंकि वह खुद को जंगल का राजा समझता था और किसी भी जानवर को नहीं बख्शता था।
खरगोश का दिमागी खेल
शेर को देखते ही, खरगोश का दिल तेजी से धड़कने लगा, लेकिन वह तुरंत समझ गया कि अगर उसने जल्दी कुछ नहीं सोचा, तो उसका अंत निश्चित है। खरगोश ने अपनी सूझबूझ का सहारा लिया और एक चालाक योजना बनाई। उसने तेजी से दौड़ते हुए शेर के पास जाकर कहा, "महाराज की जय हो! महाराज की जय हो!"
शेर ने एक खतरनाक दहाड़ के साथ पूछा, "क्यों, क्या हुआ? तुम इतनी जोर-जोर से क्यों चिल्ला रहे हो?"
खरगोश ने कहा, "महाराज, मैं आपको एक बहुत बड़ी बात बताना चाहता हूँ। आज सुबह जब मैं नदी में नहा रहा था, तो मैंने कुछ ऐसा सुना जो आपके लिए जानना बहुत जरूरी है।"
शेर ने उत्सुक होकर पूछा, "क्या सुना तुमने? जल्दी बताओ।"
खरगोश ने गंभीरता से कहा, "महाराज, जब मैं नदी में था, मैंने देखा कि सारे मगरमच्छ आपस में बातें कर रहे थे। वे कह रहे थे कि आप जंगल के सबसे ताकतवर जानवर हैं और वे आपसे बहुत डरते हैं। मगरमच्छों ने कहा कि उन्हें हर हाल में आपसे बचकर रहना चाहिए। वे आपकी तारीफ कर रहे थे और आपकी शक्ति का गुणगान कर रहे थे।"
शेर यह सुनकर बहुत खुश हुआ। उसका सीना गर्व से फूल गया और उसने सोचा, "वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है। मैंने हमेशा से ही माना है कि मैं इस जंगल का सबसे ताकतवर राजा हूं और यह सुनकर मुझे और भी अच्छा लग रहा है।"
लेकिन शेर की समझ में यह बात नहीं आई कि खरगोश ने यह सब बातें अपनी जान बचाने के लिए गढ़ी हैं। उसने यह भी नहीं सोचा कि एक छोटा सा खरगोश इतनी चतुराई से उसे बेवकूफ बना सकता है। खरगोश ने शेर को पूरी तरह से विश्वास दिला दिया कि उसकी बातें सच हैं और शेर ने उस पर यकीन कर लिया।
खरगोश ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "महाराज, मैंने सोचा कि आपको यह बात बतानी चाहिए, ताकि आप भी जान सकें कि आपके दुश्मन भी आपकी ताकत का लोहा मानते हैं। मुझे खुशी है कि मैंने यह बात आपको बताई। अब मैं आपके रास्ते से हटता हूं ताकि आप अपनी राह पर बढ़ सकें।"
शेर ने खरगोश की बातों से खुश होकर उसे छोड़ दिया। उसने सोचा, "खरगोश ने मुझे अच्छी खबर सुनाई है। इसे खाकर क्या मिलेगा? मैं इससे अच्छा कोई बड़ा जानवर ढूंढता हूं खाने के लिए।"
खरगोश ने तुरंत शेर के रास्ते से हटकर एक सुरक्षित स्थान पर भाग लिया और अपनी जान बचा ली। शेर अपनी घमंड और प्रशंसा में इतना खो गया था कि उसे समझ ही नहीं आया कि खरगोश ने कितनी चतुराई से उसे बेवकूफ बनाया। शेर के इस घमंड ने उसे बड़ी मुसीबत में डाल दिया, लेकिन खरगोश की समझदारी और हिम्मत ने उसे एक बड़ी विपत्ति से बचा लिया।
इस तरह, खरगोश ने अपनी बुद्धिमानी और त्वरित सोच से न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि शेर को भी यह एहसास दिला दिया कि उसकी घमंड और आत्ममुग्धता उसे अंधा कर सकती है। यह घटना जंगल के बाकी जानवरों के लिए भी एक सीख बन गई कि किसी भी संकट की स्थिति में सूझबूझ और धैर्य से काम लेना ही सबसे बेहतर उपाय है।
भैंस का चतुराई भरा झूठ
शेर आगे बढ़ा, तभी उसने रास्ते में एक मोटी-ताजी भैंस देखी। शेर के मन में लालच आया और उसने सोचा कि इसका शिकार करते हैं। भैंस ने शेर को देख लिया और समझ गई कि वह कितना भी तेज भागे, शेर उसे दबोच ही लेगा।
इसलिए, भैंस खुद शेर के पास आई और बोली, "महाराज की जय हो! मैं आज एक अद्भुत मंजर देखा है। यह मंजर आपको भी देखना चाहिए था।"
शेर ने उत्सुक होकर पूछा, "कौन सा मंजर?"
भैंस ने कहा, "मैं आज नदी में पानी पीने गई थी। तभी मैंने देखा कि एक मगरमच्छ कह रहा था कि उसे एक शक्ति प्राप्त हुई है। यह शक्ति किसी को भी शक्तिशाली बना सकती है और वह यह शक्ति अपने जंगल के महाराज शेर को देगा।"
शेर ने पूछा, "क्या सच में मगरमच्छ ऐसा कह रहा था?" जबकि उसे क्या पता था कि भैंस अपनी जान बचाने के लिए झूठ बोल रही थी।
हाथी की सलाह
शेर वहां से आगे बढ़ा। रास्ते में उसे एक हाथी मिला। हाथी ने शेर से पूछा, "शेर महाराज, आप कहां जा रहे हो?"
शेर ने कहा, "मैं मगरमच्छ के पास जा रहा हूं। वह मुझे एक शक्ति देने वाला है।"
हाथी ने कहा, "आप वहां मत जाइए। मगरमच्छ कुछ दिनों से बहुत भूखा है, इसीलिए वह खूंखार हो गया है। कहीं वह आप पर हमला न कर दे।"
शेर को यह सुनकर गुस्सा आ गया और उसने कहा, "वह मुझ पर क्यों हमला करेगा? मैं इस जंगल का राजा हूं। वैसे भी तुम्हें कुछ नहीं पता, तुम अपना काम करो।"
हाथी बेचारा सच बोल रहा था लेकिन उसकी बात शेर ने नहीं सुनी और तालाब की तरफ चल पड़ा, जहां भूखा और खूंखार मगरमच्छ था।
शेर की अंतिम गलती
शेर के मन में मगरमच्छ की कथित शक्ति के बारे में जानने की तीव्र इच्छा थी। उसके घमंड ने उसे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह हमेशा की तरह किसी भी खतरे का सामना कर सकता है। उसने हाथी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया और सीधा तालाब की ओर बढ़ने लगा।
तालाब की ओर चलते हुए, शेर ने सोचा, "मैं इस जंगल का राजा हूं। कोई भी मुझसे ताकतवर नहीं हो सकता। यह हाथी भी बस अपनी जान बचाने के लिए बेवजह डर रहा है। मगरमच्छ की शक्ति अगर सच में है, तो उसे मुझसे साझा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।"
तालाब के पास पहुंचते ही, शेर ने देखा कि मगरमच्छ पहले से ही पानी के किनारे आराम कर रहा था। शेर ने गर्व से कहा, "मगरमच्छ! मैंने सुना है कि तुम्हारे पास एक विशेष शक्ति है। तुम मुझे वह शक्ति देने वाले हो, क्या यह सही है?"
मगरमच्छ ने शेर को देखा और सोचा, "यह शेर सचमुच बेवकूफ है। इसे यह समझ नहीं आ रहा कि मैं कई दिनों से भूखा हूं और आज इसका शिकार करूंगा।" मगरमच्छ ने चालाकी से कहा, "हाँ महाराज, आपके लिए मेरे पास एक विशेष शक्ति है। कृपया पानी के करीब आएं और इसे प्राप्त करें।"
शेर ने अपनी ताकत और सत्ता पर इतना भरोसा किया कि वह बिना सोचे-समझे तालाब के और करीब आ गया। जैसे ही शेर ने पानी में कदम रखा, मगरमच्छ ने अपनी पूरी ताकत से शेर पर हमला कर दिया। उसने शेर के गले को अपने मजबूत जबड़े से पकड़ लिया और पानी में खींच लिया। शेर ने अपनी पूरी ताकत लगाकर खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन पानी में मगरमच्छ उससे कहीं ज्यादा ताकतवर था।
शेर ने संघर्ष करते हुए कहा, "छोड़ मुझे! मैं इस जंगल का राजा हूं।"
मगरमच्छ ने हंसते हुए कहा, "आज से इस जंगल का राजा मैं हूं। तुम्हारी घमंड और अंधविश्वास ने तुम्हें यहाँ लाकर छोड़ दिया है।" शेर की ताकत और उसकी दहाड़ें पानी में धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गईं। पानी के अंदर मगरमच्छ ने शेर को पूरी तरह से पकड़ लिया और अंततः उसे मार डाला।
शेर के मरने के बाद, जंगल में एक बड़ी खामोशी छा गई। सारे जानवर यह देखकर हैरान थे कि उनका ताकतवर राजा अब नहीं रहा। जंगल के जानवरों ने इस घटना से एक महत्वपूर्ण सीख ली। उन्होंने समझा कि घमंड और अति आत्मविश्वास विनाश का कारण बन सकते हैं। हाथी, जिसने शेर को चेतावनी दी थी, दुखी था कि उसकी बात शेर ने नहीं सुनी। लेकिन उसने भी यह महसूस किया कि हर किसी को अपनी बुद्धि और सूझबूझ का इस्तेमाल करना चाहिए, चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों न हो।
शेर की मृत्यु के बाद, जंगल में एक नया अध्याय शुरू हुआ। जानवरों ने मिलकर यह तय किया कि अब वे बिना सोचे-समझे किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंचेंगे और सभी की राय को महत्व देंगे। हाथी को उनकी समझदारी और दूरदर्शिता के लिए सम्मानित किया गया, और उसे जंगल का संरक्षक चुना गया। जानवरों ने आपसी सहयोग और समझदारी से अपने जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश की।
इस तरह, शेर की अंतिम गलती ने पूरे जंगल को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। यह कहानी हर पीढ़ी को यह याद दिलाने के लिए बताई गई कि घमंड और अति आत्मविश्वास किसी भी समय किसी को भी संकट में डाल सकते हैं। सच्ची शक्ति केवल ताकत में नहीं, बल्कि समझदारी और विवेक में होती है।
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