Choti Kahani In Hindi

बैल गाड़ी मे ढाबा वाली कहानी | Bail Gaadi Me Dhaaba Waali Kahani

 बैल गाड़ी मे ढाबा वाली कहानी | Bail Gaadi Me Dhaaba Waali Kahani

आज की इस कहानी मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है बैल गाड़ी मे ढाबा वाली कहानी  , इस मे एक बूढ़ी औरत की कहानी है जिसे पढ़ कर आप सभी को एक सबा सेकख्ने को मींगा तो चलिये पढ़ते है बैल गाड़ी मे ढाबा वाली कहानी 


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एक बार की बात है एक गांव था जिसका नाम जबलपुर था जबलपुर में सारे लोग बहुत ही मेहनत और मजदूरी से पैसे कमाए करते थे लेकिन उसे गांव में एक बूढी औरत भी रहती थी जिसका परिवार नहीं था और वह अकेले ही अपने घर में रहती थी। 

उसे हरदम यह परेशानी खाए जा रही थी क्यों किस तरह पैसे कमाए और किस तरह अपना घर चले क्योंकि उसका बस एक ही पोता था जो बहुत छोटा था और वह पैसे नहीं काम पता था क्योंकि वह भी बच्चा है। 

अब उसे बूढी औरत ने सोचा कि मैं कुछ ना कुछ काम करती हूं तभी वह दूसरों के यहा काम मांगने के लिए जाया करती थी।

लेकिन कोई उस काम नहीं देता था क्योंकि सबको लगता था कि वह बूढी हो चुकी है और यह क्या काम करेंगे इसीलिए कोई उस काम नहीं देता और सभी उसे मना कर देते थे। 

रोज-रोज के इसी तनाव की वजह से वह बूढी औरत बहुत ही निराश हो गई थी और उसने सोचा कि अब मुझे कुछ ना कुछ करना चाहिए वरना मैं और मेरा पोता भूखे ही रह जाएंगे रोजाना। 

तभी उसे ख्याल आता है उसके घर में दो बैल थे, जिन्हें वह चलने के लिए खेतों में ले जाया करती थी तभी उसने बल से एक बैलगाड़ी बना ली और लोगों के आने-जाने के लिए पेश करने लगी ताकि लोग उसमें बैठे और उसे किराया  दे।

लेकिन उसे टाइम तक गांव में बहुत सारे मोटर वाहन आ चुके थे जिसमें लोग जाना पसंद करते थे क्योंकि उन्हें जल्दी कर दिया करता था बैलगाड़ी में तो बहुत टाइम लग जाता था इसीलिए बूढ़े औरत का वह धंधा भी फेल हो गया। 

फिर बूढी औरत के दिमाग में एक आइडिया आया क्योंकि उसके गांव में कोई भी होटल नहीं थी इसीलिए उसने यह सोचा कि क्यों ना मैं अपने बैलगाड़ी में एक छोटा सा ढाबा बना हूं और जहां लोग काम करते हैं वहां खेतों में जाकर उन्हें खाना दूं। 

क्योंकि बूढी औरत के हाथों में जादू था और वह बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया करती थी इसीलिए उसने अपने बैलगाड़ी में ढाबा शुरू कर दिया और बहुत ही काम रुपए में सभी खेतों में जाकर वह मजदूरों को खाना खिलाती थी और एक थाली की कीमत ₹10 थी।


अब बहुत लोग बूढी औरत के हाथों से खाना खाने लगे जिससे उसकी बहुत ही ज्यादा मुनाफा होने लगा और उसने ऐसा करते-करते गांव में एक बड़ा ढाबा खोल दिया और फिर उसे बहुत अच्छी तरह कैसे चलाने लगी।

और जब किसी मुसाफिर या किसी गांव वाले गरीब के पास पैसे नहीं होते थे तो बूढी औरत फ्री में ही उन्हें खाना देती थी और इस तरह वह अपना ढाबा चलाने लगी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे सामने बहुत सारे अवसर होते हैं बस हमें उसे तलाशने की जरूरत होती है उसे पर जी तोड़ मेहनत करने की जरूरत होती है तो सफलता हमें मिलकर ही रहती है। 

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