आज तो आप सभी को इस कहानी मे पढ़ने को मिलने वाली है विद्यार्थियों को सीख देने वाली कहानी क्यूंकी इसी तरह की विद्यार्थियों को सीख देने वाली कहानी पढ़ना सभी को आछ लगता है और खास करके विद्यार्थियों को तो चलिये शुरू करते है बिना किसी देरी के विद्यार्थियों को सीख देने वाली कहानी
People Also Search
प्रेरणा देने वाली कहानी
प्रेरक कहानी छोटी सी
जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
बकरी का बच्चा और 1 रोटी
जब रवि रास्ते से जा रहा था, तभी उसे रास्ते में एक छोटा सा बकरी का बच्चा दिखाई दिया। रवि को बच्चा बहुत ही अच्छा लगा और शायद उसे बहुत भूख लगी थी, इसलिए वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था।
रवि ने बच्चे को उठाया और अपने घर लेकर गया। उसने अपनी मां से कहा, "मां, मुझे रास्ते में यह बकरी का बच्चा मिला है। देखो, कितना अच्छा है और हम इसे घर में कैसे पाल सकते हैं।"
रवि की मां कहती है, "नहीं बेटा, यह किसी और का होगा। तुमने इसे क्यों यहां ला लिया?"
यह सुनकर रवि कहता है, "ठीक है, पहले इसे कुछ खाने को दे दो। मैं इसे वहीं छोड़कर आ जाऊंगा, जहां से लाया था।"
यह सुनकर उसकी मां बच्चे को चारा देती है खाने के लिए। तभी रवि कहता है, "नहीं, मां, इसे रोटी दो खाने के लिए।"
उसकी मां कहती है, "यह चारा भी खा सकता है।"
तो रवि कहता है, "नहीं, यह छोटा सा है। इसे एक रोटी दो।"
तभी वह बच्चा रोटी बड़े मजे से खा लेता है और चिल्लाने लगता है। रवि कहता है, "मां, एक और रोटी दे दो इसे खाने के लिए।"
उतने में बकरी के बच्चे का मालिक आ जाता है और रवि से कहता है, "तुमने मेरा बकरी का बच्चा चुराया है।"
यह सुनकर रवि कहता है, "नहीं, मैंने यह बकरी का बच्चा नहीं चुराया है। बल्कि यह तो मुझे सड़क पर मिला था, जो बहुत चिल्ला रहा था। इसलिए मैंने इसे कुछ खिलाने के लिए घर लाया था।"
लेकिन वह आदमी नहीं मानता और कहता है, "मैं तुम्हारी शिकायत सरपंच जी से करूंगा और मेरा बच्चा लेकर रहूंगा।" यह कहकर वह वहां से चला जाता है।
रवि उसके पीछे दौड़ता है और कहता है, "रुको, तुम्हारा बकरी का बच्चा लेकर जाओ।" लेकिन वह आदमी सुनने के लिए तैयार नहीं होता और वहां से चला जाता है।
अब रवि और रवि की मां बहुत ही परेशान हो जाते हैं कि कहीं वह सच में सरपंच जी से शिकायत ना कर दे और सरपंच जी कोई सभा बुला लें इस प्रॉब्लम को सुलझाने के लिए।
तभी रवि की मां रवि से कहती है, "तुम बाबूलाल के पास जाओ। बाबूलाल हमारे गांव का बहुत ही धनी व्यक्ति है। सभी उसकी बात सुनते हैं। सरपंच जी भी शायद तुम्हारी बात मान लें।"
यह सुनने के बाद रवि भागता हुआ बाबूलाल के पास जाता है और कहता है, "बाबूलाल जी, अभिनंदन। मुझे रास्ते में एक बकरी का बच्चा मिला था। मैंने उसे कुछ खिलाने के लिए घर ले गया क्योंकि वह भूखा था। मैंने उसे एक रोटी खिलाई, लेकिन इतने में बकरी के बच्चे का मालिक आ गया। उसने मुझे धमकी दी कि वह सरपंच जी से मेरी शिकायत करेगा और बकरी का बच्चा वापस ले जाएगा। मैंने उससे कहा कि अभी वापस लेकर जाओ लेकिन वह नहीं माना।"
यह सुनने के बाद बाबूलाल कहता है, "यह तो बहुत ही दुख की बात है। वह आदमी बहुत घमंडी है।"
सरपंच जी दूसरे दिन सभा बुलाते हैं और रवि को भी बुलाते हैं बकरी के बच्चे के साथ।
सभा में बहुत बहस होती है। आखिर में सरपंच जी बकरी के बच्चे के मालिक को दोषी ठहराते हैं, क्योंकि उसने उसे सड़क पर भूखा ही छोड़ दिया था। रवि ने उसे रोटी खिलाई, इसलिए बकरी का बच्चा रवि को दे दिया जाता है।
इस बात से बकरी के बच्चे का मालिक बहुत ही नाराज हो जाता है और वहां से चला जाता है। यह देखने के बाद कि वह आदमी पंचायत का अपमान कर रहा है, उसे ₹5000 का दंड दिया जाता है।
जब रवि घर वापस आ रहा था, उसे रास्ते में अपने दोस्त मोहन मिला। मोहन ने पूछा, "क्या हुआ रवि, तुम इतने परेशान क्यों हो?"
रवि ने सारी घटना मोहन को बताई। मोहन ने कहा, "चलो, हम इसे अपने दोस्त रमेश के पास लेकर चलते हैं। वह एक वकील है और हमें कानूनी मदद मिल सकती है।"
रवि और मोहन रमेश के पास गए। रमेश ने पूरी कहानी सुनी और कहा, "रवि, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। हमें इस मामले को कानूनी तरीके से सुलझाना होगा।"
इस बीच, बकरी के बच्चे का मालिक, जिसका नाम श्याम था, अपने घर लौट आया और अपनी पत्नी सुमन को सारी घटना बताई। सुमन ने श्याम से कहा, "तुमने रवि के साथ ठीक नहीं किया। उसने केवल बच्चे की मदद की थी।"
श्याम ने गुस्से में कहा, "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अपना बच्चा वापस लेकर ही रहूंगा।"
श्याम की पत्नी सुमन बहुत ही समझदार और दयालु महिला थी। उसने श्याम को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना।
अगले दिन, रमेश ने रवि और मोहन को बुलाया और कहा, "हमें कुछ गवाहों की जरूरत होगी, जो यह साबित कर सकें कि रवि ने बच्चे को सड़क से उठाया था और उसकी मदद की थी।"
रवि ने कहा, "हमारे गांव में कई लोग हैं, जो यह बात साबित कर सकते हैं।"
रमेश ने सुझाव दिया कि वे गांव के सरपंच के पास जाएं और उनसे इस मामले की सुलह करवाने की गुजारिश करें। रवि, मोहन और रमेश सरपंच जी के पास गए और उन्हें सारी घटना बताई।
सरपंच जी ने कहा, "हम इस मामले की जांच करेंगे और सच्चाई का पता लगाएंगे।"
सरपंच जी ने गांव के कुछ बुजुर्गों को बुलाया और उनसे इस मामले पर उनकी राय ली। सभी बुजुर्गों ने कहा कि रवि ने कुछ गलत नहीं किया है। उसने केवल बच्चे की मदद की थी।
सरपंच जी ने श्याम को बुलाया और उसे समझाने की कोशिश की। लेकिन श्याम नहीं माना और कहा, "मैं अपनी शिकायत वापस नहीं लूंगा। मुझे मेरा बच्चा वापस चाहिए।"
सरपंच जी ने कहा, "ठीक है, हम इस मामले को गांव की सभा में रखेंगे और सबकी राय से फैसला करेंगे।"
गांव की सभा बुलाई गई और सभी ने अपनी-अपनी राय दी। कुछ लोगों ने कहा कि रवि ने सही किया, जबकि कुछ ने श्याम का समर्थन किया। अंत में, सरपंच जी ने फैसला किया कि बकरी का बच्चा रवि के पास ही रहेगा, क्योंकि उसने उसकी मदद की थी और उसे वापस लाने का कोई मतलब नहीं है।
श्याम इस फैसले से बहुत नाराज हुआ और गुस्से में वहां से चला गया। सुमन ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना।
कुछ दिन बाद, श्याम को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने सोचा कि उसने रवि के साथ गलत किया और उसे माफी मांगनी चाहिए। श्याम रवि के घर गया और उससे माफी मांगी।
रवि ने श्याम को माफ कर दिया और कहा, "मैंने केवल बच्चे की मदद की थी। मुझे किसी का बुरा नहीं चाहिए।"
श्याम और रवि अब अच्छे दोस्त बन गए। श्याम ने अपनी गलती सुधार ली और रवि की मदद करने का वादा किया।
इस बीच, गांव में एक और समस्या खड़ी हो गई। गांव में एक बड़े व्यापारी, जिसका नाम सुरेश था, ने गांव की जमीन पर कब्जा कर लिया और वहां अपने कारखाने बनाने का फैसला किया। गांव वालों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन सुरेश ने उनकी एक नहीं सुनी।
रवि, मोहन, और रमेश ने गांव वालों की मदद करने का फैसला किया। उन्होंने सरपंच जी के पास जाकर सुरेश की शिकायत की। सरपंच जी ने कहा, "हमें इस मामले को उच्च अधिकारियों के पास ले जाना होगा।"
रवि और मोहन ने सुरेश के खिलाफ प्रदर्शन किया और गांव वालों को एकजुट किया। सुरेश ने उन्हें धमकी दी, लेकिन रवि और मोहन नहीं डरे।
आखिरकार, गांव वालों की एकता और साहस के सामने सुरेश को हार माननी पड़ी और उसने अपनी जमीन गांव वालों को वापस कर दी।
गांव में अब शांति और खुशहाली आ गई। रवि और श्याम अब अच्छे दोस्त बन गए और उन्होंने मिलकर गांव की भलाई के लिए काम करने का फैसला किया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सच्चाई का साथ देना चाहिए और अगर हम किसी की मदद करते हैं, तो हमें उसकी सच्ची खुशी मिलती है। साथ ही, एकजुटता और साहस से हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं और उसे हरा सकते हैं।
People Also Search
प्रेरणा देने वाली कहानी
प्रेरक कहानी छोटी सी
जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी
0 Comments