आज की इस छोटी छोटी कहानियां शिक्षा वाली मे हम सभी लोग पढ़ने वाले है छोटी छोटी कहानियां शिक्षा वाली क्यूंकी इसी तरह की छोटी छोटी कहानियां शिक्षा वाली पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और इससे बच्चो को बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है तो चलिये शुरू करते है छोटी छोटी कहानियां शिक्षा वाली
झूट की सज़ा
बात है कई साल पहले की एक गांव की जिसका नाम हरिपुर था हरिपुर में सारे लोग खेती का काम किया करते थे और खेती करके ही अपना जीवन गुजारते थे।
और उसे गांव में सभी के पास बहुत सारे बकरियां थी क्योंकि बकरियों से दूध भी मिल जाता था और जरूर आने पर उन्हें बेचकर अच्छा था उसे कैसे भी मिल जाया करते थे इसीलिए सारे लोग अपने घर में बकरियां पालते करते थे।
किसी के घर में दो बकरियां थी किसी के घर में चार बकरियां तो किसी के घर में 20 बकरियां होती थी।
अब क्योंकि बकरियों को पालने के लिए उनके पास बहुत सारी जगह थी इसीलिए लोग अपने घर में ही बकरियां पालते थे।
लेकिन बकरियों को खिलाने के लिए ज्यादा सारे की व्यवस्था नहीं थी इसलिए बकरियों को दूर जंगल में खिलाने के लिए ले जाना पड़ता था इसके लिए उन्होंने एक लड़के को कम पर रखा था जिसका नाम सुरेश था।
सुरेश गांव के सभी बकरियों को चराने के लिए दूर जंगल में ले जाया करता था और इसके बदले में गांव वाले सुरेश को हर एक बकरी के बदले में ₹2 दिया करते थे।
मतलब की एक बकरी के दो रुपए तो जितने बकरिया है उसकी हिसाब से सुरेश को पैसे मिलते थे जिससे सुरेश कभी घर चलता था।
सुरेश रोजाना सुबह उठना और पहले अपने घर की बकरियों को रस्सी से खुलता था बाद में गांव भर में घूमता और सब की बकरियों को एक जगह इकट्ठा कर लेता फिर गांव के ही तालाब में सबको पानी पिलाता और फिर जंगल की तरफ रवाना होता था उन्हें हरा भरा चारा खिलाने के लिए।
गांव से 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल था उसे जंगल में हरी भरी उपवास थी और बहुत सारे पेड़ पौधे थे जिन्हें बकरियां बड़ी शौक से पढ़ती थी और जल्दी-जल्दी थी और बहुत ही वजनदार हो जाया करती थी।
उसे जंगल में एक बहुत बड़ा आम का पेड़ था जिस पर रसीले आए थे अब सुरेश को रसीले हम बहुत पसंद थे इसीलिए वह पेड़ के ऊपर चरण नहीं पता था लेकिन नीचे से ही पेड़ पर पत्थर मार कर आम तोड़ता और बड़े मजे से खाता था।
सुरेश को यह करते हुए काफी समय हो चुका था इसलिए अब उससे बहुत सारे तरीके आ चुके थे बकरियों को चराने की क्योंकि बस तुमको चराने सभी के बस की बात नहीं होती।
एक बार जब सुरेश बकरियों को चराने के लिए जंगल की तरफ रवाना होगा तो उसे किसी आदमी ने कहा कि आज जंगल में एक शेर को देखा गया है तुम आज जंगल में मत जाओ नहीं तो शेयर तुम्हारी बकरियों को खा जाएगा।
सुरेश वापस गांव की तरफ लौट गया और गांव वालों से कह दिया कि आज जंगल में शेर को देखा गया है इसलिए मैं आज बकरियां चराने के लिए नहीं लेकर जाऊंगा तब अपनी अपनी बकरी अपने घर में बांध दो।
सभी लोगों ने बकरियां अपने घर में ले ली और फिर सुरेश से कहा ठीक है तुम बकरियों को कल लेकर चले जाना।
दूसरे दिन सुरेश गांव की सारी बकरियां को लेकर जंगल की तरफ निकलता है वैसे तो सुरेश कोई शरारती लड़का नहीं था लेकिन एक दिन उसने शरारत करने की सूची उसने जंगल में पहुंच कर देखा कि पेड़ काटने वाले मजदूर वहां है और पेड़ काट रहे हैं।
सुरेश ने सभी को नमस्कार किया और जंगल के अंदर पड़ गया सुरेश बकरियों को चढ़ाने के लिए छोड़ देता है और आम खाते हुए बैठ जाता है तभी उसको दिमाग में एक शरारत आती है।
वह दौड़ता हुआ जाता है उन लकड़हारों के पास और कहता है कि शेर घुस आया है जंगल में और हमारी शायरी बकरियों को खा रहा है आप प्लीज चलकर मेरी मदद कीजिए सारे लकड़हारा अपना काम छोड़कर बकरियों की तरफ भागते हैं।
और वहां जाकर देखते हैं तो कोई शेर वह नहीं था बकरियां आराम से चारा खा रही थी।
यह देखकर लकड़हारे रहते हैं सुरेश से की क्यों यहां तो कोई शेर नहीं है तभी सुरेश जोर-जोर से हंसने लगता है और कहता है मैंने तुम सबको उल्लू बनाया बड़ा मजा आया यह सुनकर लकड़हारा उसके ऊपर बहुत ही गुस्सा करते हैं और वहां से चले जाते हैं अपना काम करने के लिए।
1 घंटे के बाद में जब शाम होने को आती है सुरेश बकरियों को गांव की तरफ वापस ले जाने के लिए इकट्ठा करने लगा तो तब भी वहां पर दो बड़े-बड़े शेर आ गए और एक-एक कर कर बकरियों को खाने लगे तो यह देखकर सुरेश डर गया और भागते हुए लकड़हारों के पास गया और उनसे कहने लगा।
जल्दी चलो मेरे बकरियों को शेर खा रहा है और दो बड़े-बड़े शहर है उन्होंने मेरे चार बकरियों को खा लिया है और अभी और बकरियों को खा जायेंगे।
यह सुनकर लकड़हारे रहते हैं क्या तुमने हमें बेवकूफ समझ कर रखा है कि हम दोबारा वापस तुम्हारे साथ चलेंगे तुम अभी भी मजाक कर रहे हो जाओ हमें अपना काम करने दो यह सुनकर सुरेश कहते हैं नहीं नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा सच में मेरी बकरियों को शेर खा रहा है तब भी लकड़हारा उसकी बात नहीं मानते और सुरेश बेचारा वापस अपने बकरे के पास अकेला जाता है।
तब तक शहर 10 बकरियों को खा चुके थे और पेट भरने के बाद वहां से जा चुके थे।
अब क्योंकि 10 बकरियों को शहर में खा लिया था तो इसकी भरपाई अब सुरेश को करनी होगी क्योंकि वह दूसरों की बकरियां थी और वह सूरज से ही बकरियों का हार जाना वसूललेंगे।
यह देखकर सुरेश बहुत ही दुखी हो जाता है और उसे एहसास हो जाता है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए झूठ की सज़ा और का परिणाम हमें भुगतना ही पड़ता है।
आलस का परिणाम
महेशपुर नाम के गांव में दो भाई रहा करते थे एक का नाम था पवन और दूसरे का नाम था चमन दोनों के भाई बहुत ही बुद्धिमान थे और वह अपने चतुराई और बुद्धिमानी की वजह से पूरे गांव में प्रसिद्ध थे।
दोनों भाई चित्रकार का काम करते थे और किसी का भी खूबसूरत चित्र बनाया करते थे और उसके लिए उन्हें खूब सारे पैसे मिला करते थे।
लेकिन दोनों भाइयों में से पवन थोड़ा आलसी था जबकि चमन बहुत ही मेहनती था।
चमन पवन से हर बार कहा करता था कि तुम इतना आलस मत करो तुम्हारी हालत से वजह से तुम बहुत पीछे रह जाऊंगी दूसरों से लेकिन पवन कहेता है नहीं मैं तुमसे अच्छा चित्रकार हूं और मैं तुमसे अच्छे चित्र बनाता हूं और मैं तुमसे पहले अमीर बन जाऊंगा।
यह सुनकर चमन करता है तुम्हारी यह आलस की वजह से तुम सबसे पीछे रह जाओगे यह सुनकर पवन करता है ठीक है तो मुझे ज्ञान मत दो अपना काम करो।
इस गांव में दूसरे राज्य का राजा आता है जिसका नाम महाराणा देवेंद्र होता है, उसे अपना चित्र बनवाने का बहुत शौक होता है इसीलिए वह जो भी गांव में जाता है वहां के प्रसिद्ध चित्रकार को अपने साथ ले लेता है।
जब वह जब वह महेशपुर नाम के गांव में पहुंचा तो उसने जांच पड़ताल शुरू की किया अच्छा चित्रकार कौन है तो सभी में उसे कहां की यहां दो बहुत ही बड़े और प्रसिद्ध चित्रकार है जिनका नाम है पवन और चमन तभी राजा कहते हैं नहीं मुझे एक ही चित्र पर चाहिए।
तभी राजा का मंत्री उसे सलाह देता है कि आप उन दोनों के बीच एक प्रतियोगिता रखिए और उसमें जो जीतेगा उसे अपने साथ महल में ले लेंगे।
राजू को मंत्री के बाद पसंद आ जाती है और वह दूसरे ही दिन चित्रकार की एक प्रतियोगिता रखता है जिसमें पवन और चमन को भागीदारी लेनी होती है और अगर दोनों में से जिसका चित्र अच्छा होगा उस राजा अपने महल में ले लेना अपने चित्र बनवाने के लिए।
दूसरे दिन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है और पवन और चमन भी हायर हो जाते हैं राजा रहता है तुम्हारे पास सिर्फ 30 मिनट है और तुम जो चाहे वह चित्र बना सकते हो तुम दोनों में से जिसका चित्र अच्छा होगा मैं उसे अपने महीने में चित्रकार के रूप में लेकर जाऊंगा और उसे 1000 सोने की मुद्रा मिलेगी हर महीने।
अब क्योंकि पवन को जल्दी ही मालदार और करोड़पति बना था इसीलिए उसने अपनी पूरी क्षमता लगा दी प्रतियोगिता जीतने के लिए।
प्रतियोगिता खत्म होने के बाद राजा के सामने दोनों के चित्र बताए गए चमन में जानवरों का चित्र बनाया था जिसमें बहुत सारे जानवर थे जबकि पवन ने एक शाम के वक्त का चित्र बनाया था।
अब क्योंकि वैसे भी पवन चमन से अच्छा चित्र बनाता था इसीलिए प्रतियोगिता खत्म होने के बाद राजा को पवन का चित्र अच्छा लगा क्योंकि पवन ने एक शाम के वक्त का चित्र बनाया था जो बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
राजा में पवन को कहां से तुम्हें मेरे साथ महल में चलना होगा तुम मेरे मुख्य चित्रकार होंगे और तुम्हें हर महीने हजार सोने की मुद्रा मिलेगी।
यह सुनकर पवन कहता है ठीक है महाराज मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं लेकिन इस पर महाराज कहते हैं लेकिन तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि मुझे हर काम वक्त पर चाहिए मुझे आलसी लोग बिल्कुल पसंद नहीं है।
ये सुनकर पवन हमें भर देता है और कहता है मैं बहुत ही ईमानदार हूं और बहुत ही मेहनती हु।
चमन को पता चल जाता है कि अब पवन फंसने वाला है बुरी तरह से लेकिन वह सोचता है कि जाने दो इसे सबक सीखाने का एक ही तरीका है।
पवन राजा के साथ महल में चला जाता है और उसके लिए चित्र बनाने लगते हैं और राजा उसके काम को देखकर बहुत ही प्रसन्न होता है।
6 महीने बीत जाते हैं अब पवन को बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि वह पैसे भी कमा रहा था और महाराज के महल में रहे भी रहा था।
एक दिन महाराज पवन को दरबार में बुलाते हैं और कहते हैं आज मेरे ससुराल वाले आने वाले हैं और मेरे सासू मां ने मुझे यह दरखास्त की है कि तुम उनकी तस्वीर बना यह सुनकर पवन कहता है मैं उनका बहुत ही अच्छा चित्र बनाऊंगा।
जब राज्यों के ससुराल वाले आते हैं और उसके सासू मां कहती है कि मेरा चित्र बनवाओ तभी राजा आदि देता है कि जो पवन को बुलाओ चित्र बनाने के लिए लेकिन पवन तो शिकार के लिए जंगल में गया था।
यह सुनने के बाद राजा बहुत ही गुस्सा हो जाता है और कहता है कि जो उसे जंगल से लेकर आओ तभी दरबार जाती है लेकिन पवन उन्हें कहीं दिखाई नहीं देता वह थक हार कर वापस महल में लौट जाते है।
यह सुनने के बाद राजा की सासू मां नाराज होकर चली जाती है यह देखकर महाराज बहुत ही गुस्सा हो जाती है और कहते हैं अब पवन को आने दो मैं उसे छोडूंगा नहीं।
पवन देव रात को आता है महल में तभी उसे याद आता है के उसे आज महाराज के सासू मां का चित्र बनवाना था यह याद आने के बाद वह बहुत ही दुखी होता है और अपने आलस पर शर्मिंदा होता है और महाराज से माफी मांगने के लिए उनके कमरे में जाता है।
लेकिन महाराज ने पहले से ही दरबानों को आदेश दे दिया था कि अगर पवन भाई में दिखाई दे तो उसे काल कोठरी में डाल दिया जाए।
दरबारों से काल कोठरी में डालने के लिए ले जाते हैं तभी पवन कहता है मुझे महाराज से बात करने दो लेकिन महाराज से बात करने का मौका उसे नहीं मिलता और उसे दरबार निकाल कोठी में डाल देते हैं।
पवन के आलस की वजह से उसकी अच्छी खांसी नौकरी भी चली गई और उसे काल कोठरी में भी डाल दिया गया इसलिए इंसान को कभी आलस नहीं करना चाहिए।
ज़्यादा होशियारी ठीक नही!
एक गांव में चंदू नाम का एक आदमी रहा करता था वह जानवर पकड़ने का काम करता था और किसी भी जानवर को बहुत ही होशियारी से पकड़ लेता था।
बहुत सारे लोगों को जानवरों से तकलीफ होती है जैसा की कोई खेत में सूअर हो जाए या कोई चेहरा जाए तो उसे चंदू पकड़ लिया करता था और जंगल में छोड़कर आता था।
इसके लिए चंदू को बहुत ही पैसे मिलते थे जिसकी वजह से हुए काम को बहुत अच्छी तरह से करता था और बाकी कोई लोग और कोई व्यक्ति इस काम को अच्छी तरह से नहीं कर पाता था।
एक दिन चंदू के पास एक आदमी आया और उसे कहने लगा कि मेरे खेत में बहुत सारे शरारती बंदर घुस आए हैं जो मेरी फसल को खा रहे हैं मैंने सुना है तुम जानवरों को पकड़ कर जंगल में छोड़कर रहते हो क्या तुम मेरी मदद करोगे इसके लिए तुम्हें जो चाहिए मैं वह दूंगा।
चंदू कहते हैं ठीक है इसके बदले मुझे 10 बोरी गेहूं लगेंगे वह आदमी मान जाता है और कहता है कि तुम उन बंदरों को जंगल में छोड़कर आ जाओ मैं तुम्हें 10 बोरी गेहूं दूंगा।
तभी चंदू अपने दोस्त को बुलवाता है और कहता है कि हमें पड़ोस के गांव में जाना है वहां के खेत में कुछ शरारती बंदर घुस आए हैं यह सुनकर वह कहता है नहीं-नहीं तुम वहां मत जाना वह शरारती बंदर बहुत ही खतरनाक है वह तुम्हारे पर हमला करेंगे और तुम्हें जख्मी कर सकते हैं।
क्योंकि चंदू कुछ ज्यादा ही होशियार था वह कहता है तुम मुझे डरा रहे हो तुम्हें पता नहीं है मैंने तो बड़े-बड़े शहर को गुसल सूअर को और बड़े-बड़े हाथी को खेतों से निकलवाया है यह छोटे से बंदर मेरा क्या बिगाड़ लेंगे।
संतोष के दोस्त की बात नहीं मानता और अकेले ही उसे गांव में निकल जाता है वहां पहुंचकर वह देखता है कि बहुत सारे बंदर वहां बैठे हैं तुम अपना जान लेता है और उन्हें पकड़ने के लिए अंदर जाने लगता है।
जैसे ही वह अंदर जाता है सारे बंदर उसे घेर लेते हैं उसे पकड़ कर एक पेड़ पर लटका देते हैं और वहां से उसे फेंक देते हैं।
इससे चंदू को बहुत चोट लगती है और उसके पैर में भी मोच आ जाती है जिससे वह चल नहीं पता इस बात का फायदा बंदर उठा लेते हैं और उसका जल फेंक देते हैं।
और उसके सारे कपड़े फाड़ देते हैं और उसे गुदगुदी करने लगते हैं।
इतने में खेत का मालिक वहां आ जाता है और बहुत सारे पटाखे फोड़ता है जिसकी वजह से सारे बंदर वहां से भाग जाते हैं और वह चंदू से कहता है तुम तो बहुत ही देंगे मार रहे थे अब क्या हुआ सारी होशियारी निकल गई तुम्हारी।
चंदू को अपने आप पर बहुत ही शर्मिंदगी होती है और उसे पता चल जाता है कि ज्यादा होशियार बनने से कुछ फायदा नहीं होता बल्कि अपना ही नुकसान हो जाता है।
आप पढ़ रहे थे : छोटी छोटी कहानियां शिक्षा वाली
Go Back and please visite other option
0 Comments