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Top 3 Jadui Kahaniyan Hindi Me | टॉप 3 जादुई कहानियां हिंदी में | Very New Hindi Stories

तो दोस्तो आज भी हम आप सभी के लिए लाये है Top 3 Jadui Kahaniyan Hindi Me और साथ ही आपको टॉप 3 जादुई कहानियां हिंदी में मे आप सभी को पढ़ने मिलने वाली है 3 Very New  Hindi Stories क्यूंकी आज कल गूगल पर नयी कहानिया पढ़नी मिलना मुश्किल सा हो गया है । 

बस इसी बात को ध्यान मे रखते हुए आज मैंने आप सभी के लिए ये Top 3 Jadui Kahaniyan Hindi Me लिखा हु तो चलिये बगैर किसी देरी के पढ़ते है टॉप 3 जादुई कहानियां हिंदी में 


    Top 3 Jadui Kahaniyan Hindi Me | टॉप 3 जादुई कहानियां हिंदी में | Very New  Hindi Stories


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     Top 3 Jadui Kahaniyan Hindi Me 

     टॉप 3 जादुई कहानियां हिंदी में

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    जादूई पानी का कुआ 




    बात है उस समय की जब रोहन अपनी पढ़ाई पूरी करके गांव में वापस लौटा। रोहन ने इंजीनियरिंग किया था और इसकी वजह से उसे शहर में एक अच्छी जॉब भी मिलने वाली थी, जिसकी वजह से उसके घर वाले बहुत खुश थे।

    रोहन जब अपने गांव वापस लौटा, तो उसने देखा कि उसके गांव में पानी की बहुत समस्याएं हैं, जिसकी वजह से लोगों को दूर-दूर से तालाब से पानी लाना पड़ता था और उन्हें बहुत ही कष्ट हो रहा था।

    रोहन ने जब अपने गांव वालों की यह समस्या देखी, तो वह तुरंत पंचायत के ऑफिस में गया और कहने लगा, "आप इतने दिनों से क्या कर रहे हैं? इतनी पानी की समस्या होने के बावजूद भी आपने कोई इंतजाम नहीं किया।"

    पंचायत में रोहन को कुछ जवाब नहीं मिलता, जिसकी वजह से वह हताश होकर घर वापस आ जाता है और यह सोचने लगता है कि अपने गांव की पानी की समस्या को कैसे दूर करें।

    तभी उसकी मां कहती है कि उनके घर में शहद खत्म हो गया है, इसलिए उसे जंगल में जाकर पेड़ से शहद तोड़ कर लाना होगा।

    यह सुनने के बाद रोहन कहता है, "मां, मुझे तो शहद तोड़ना नहीं आता। अगर मुझे मधुमक्खी ने काट लिया तो?"

    तभी उसकी मां कहती है, "बेटा रोहन, तुम्हें यह आना चाहिए क्योंकि शहद बहुत ही अच्छी चीज होती है खाने के लिए और इससे हमें एनर्जी मिलती है। अगर तुम्हें शहद तोड़ना आएगा तो तुम खुद ही ला पाओगे, किसी के सहारे नहीं रहोगे।"

    अपनी मां की यह बात सुनने के बाद रोहन जंगल में शहद ढूंढने के लिए चला जाता है।

    अब क्योंकि रोहन ने पहले यह काम नहीं किया था, इसीलिए उसे पता नहीं चल रहा था कि शहद किस पेड़ पर है। तभी वह जंगल के और भी अंदर जाने लगता है।

    बहुत ढूंढने के बाद उसे एक पेड़ नजर आता है, जिसके ऊपर बहुत ही ज्यादा बड़ी मात्रा में शहद था।

    अब वह सोचता है शहद निकालने की, लेकिन उसे लगता है कि अगर उसने इस बड़े छत्ते से शहद तोड़ा तो उसे मधुमक्खियां काट लेंगी। इसीलिए वह एक छोटा सा शहद का छत्ता तलाश करता है।

    तभी उसे एक बगल वाले पेड़ पर छोटा सा छत्ता मिल जाता है, जिससे वह शहद तोड़ लेता है।

    बहुत मेहनत करने के बाद आखिर उसे शहद मिल ही गया था। जब वह शहद लेकर वापस लौट रहा था, तभी उसे रास्ते में एक बुजुर्ग आदमी दिखाई दिया जिसे चलते भी नहीं आ रहा था।

    तभी वह बुजुर्ग आदमी रोहन से कहता है, "बेटा, मुझे कुछ खाने के लिए दो। मुझे बहुत भूख लगी है। मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, ना कुछ पिया है। प्लीज, मेरी मदद करो।"

    यह सुनने के बाद रोहन कहता है, "लेकिन मेरे पास तो कुछ है ही नहीं आपको खाने के लिए देने के लिए। आप चाहे तो मेरे घर चल सकते हैं और वहां खाना खा सकते हैं।"

    तभी वह बूढ़ा आदमी कहता है, "नहीं, नहीं। जो भी हो तुम्हारे पास अभी वह मुझे दे दो खाने के लिए।"

    तभी रोहन कहता है, "मेरे पास तो केवल अभी यह शहद है।"

    यह सुनने के बाद बूढ़ा आदमी कहता है, "ठीक है, तुम मुझे यह शहद दे दो। इससे मेरी भूख शांत हो जाएगी।"

    लेकिन रोहन मन ही मन सोचता है कि इतनी मेहनत करने के बाद उसे यह शहद मिला है और अब उसे यह भी किसी बूढ़े आदमी को देना पड़ रहा है। लेकिन वह बहुत भला था, इसीलिए उसने बूढ़े आदमी को शहद दे दिया।

    बूढ़े आदमी ने उसके सामने ही पूरा शहद खा लिया और रोहन से कहने लगा, "भगवान तुम्हारा भला करें।"

    तभी वह देखता है कि रोहन थोड़ा परेशान है। वह पूछता है, "तुम इतनी परेशान क्यों लग रहे हो?"

    तभी रोहन कहता है, "मैं क्या बताऊं बाबा जी, मेरे गांव में पानी की बहुत समस्या है और लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। पंचायत में इसमें कुछ नहीं कर रही है। समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं।"

    यह सुनने के बाद वह बूढ़ा आदमी कहता है, "क्या तुम्हारे गांव में कुएं भी नहीं हैं पानी के?"

    तभी रोहन कहता है, "पानी के कुएं तो हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं है।"

    तभी बूढ़ा आदमी कहता है, "तुम एक काम करो।" वह अपने पास से एक पानी की बोतल निकालता है और रोहन को दे देता है।

    और रोहन से कहता है, "इस बोतल का पानी कुएं में डाल देना और फिर देखना, कुआं पूरा पानी से लबालब भर जाएगा। और जब भी तुम पानी निकालोगे, वह उतना ही रहेगा, पानी कम नहीं होगा।"

    यह सुनकर रोहन थोड़ा अजीब बर्ताव करता है। लेकिन वह बूढ़े आदमी का दिल रखने के लिए पानी की बोतल ले लेता है और बूढ़ा आदमी वहां से चला जाता है। जब रोहन अपने गांव पहुंचता है, तो वह सोचता है कि चलो, डाल ही देता हूं पानी कुवे में। कुछ नहीं होगा तो भी चलेगा।

    लेकिन रोहन जब दूसरे दिन देखता है कि कुएं पर बहुत भीड़ लगी है, क्योंकि कुआं पानी से भर गया था और सभी पानी ले रहे थे। सभी लोग कह रहे थे, "जल्दी-जल्दी पानी ले लो, क्योंकि इसमें पानी कभी भी खत्म हो सकता है।"

    तभी रोहन सबको बताता है कि यह पानी खत्म नहीं होगा, क्योंकि यह एक जादुई कुआं बन गया है। अब हमारे गांव में पानी की समस्या हल हो चुकी है।

    फिर रोहन सिर ऊंचा करके गांव वालों को बताता है और इससे गांव वाले बहुत खुश होते हैं। वे रोहन के जज्बे, हौंसले और उसकी हिम्मत की दाद देते हैं और सभी रोहन को धन्यवाद कहते हैं।


    जादूई आम का पेड़

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    एक बार की बात है, मोहिनी खेलने के बाद अपने घर जा रही थी। तभी उसे रास्ते में बहुत सारे आम के पेड़ दिखाई दिए। मोहिनी का दिल चाहता कि वह वहां से आम खाए, लेकिन आम के पेड़ थोड़े ऊंचे थे, इसीलिए वह वहां तक पहुंच नहीं पा रही थी।

    तभी मोहिनी ने सोचा कि मैं थोड़े पत्थर मार देती हूं ऊपर, जिसकी वजह से एक-दो आम नीचे गिर जाएंगे और मैं मजे से आमों को खा सकूंगी।

    मोहिनी एक पत्थर मारती है पेड़ पर, लेकिन कोई आम नीचे नहीं गिरता। तभी मोहिनी आसपास के सभी पत्थर जमा करती है और एक-एक करके आम के पेड़ पर पत्थर मारने लगती है, लेकिन एक भी आम नीचे नहीं गिरता।

    मोहिनी को यह देखकर बहुत गुस्सा आ जाता है और वह सोचती है कि मुझे एक भी आम खाने को नहीं मिलेगा। ऐसा मैं नहीं होने दूंगी। वह और पत्थर इकट्ठा करती है और पेड़ पर जोर-जोर से पत्थर मारने लगती है।

    तभी वहां से उसके गांव के एक चाचा गुजरते हैं और कहते हैं, "मोहिनी बेटा, तुम यहां क्या कर रही हो?"

    तभी मोहिनी कहती है, "चाचा जी, मुझे आम खाना है, लेकिन मैं इतने सारे पत्थर मार चुकी हूं, एक भी आम नीचे नहीं गिरा।"

    यह सुनकर चाचा थोड़े हंसते हैं और कहते हैं, "मोहिनी बेटा, यह बहुत ऊंचा पेड़ है। इस पेड़ पर पत्थर से आम नहीं गिरते। इस पर तो पेड़ के ऊपर चढ़कर ही आम खा सकते हैं।"

    तभी मोहिनी कहती है, "तो चाचा, क्या तुम मेरे लिए पेड़ पर चढ़ोगे? मुझे आम खाना है क्योंकि यह आम बहुत ही स्वादिष्ट लग रहे हैं।"

    यह सुनने के बाद उसके चाचा कहते हैं, "नहीं बेटा, मुझे अभी एक अर्जेंट काम से बाहर जाना है। मैं फिर कभी तुम्हें इस पेड़ के आम तोड़ दूंगा।"

    और फिर वह वहां से चले जाते हैं। लेकिन मोहिनी को तो आम खाना ही था, इसीलिए वह और पेड़ पर पत्थर मारने लगती है।

    तभी वहां से एक बूढ़ी औरत गुजरती है। वह औरत कहती है, "मोहिनी, तुम यहां अकेली क्या कर रही हो?"

    इस बात पर मोहिनी कहती है, "मुझे आम खाना है, लेकिन एक भी आम नीचे नहीं गिरा है। मैंने बहुत सारे पत्थर भी मारे, लेकिन एक भी आम नीचे नहीं गिरा।"

    तभी वह बूढ़ी औरत कहती है, "मोहिनी, दोपहर हो चुकी है और तुम्हारी मां तुम्हें तलाश कर रही थी। तुम्हें घर जाना चाहिए।"

    तभी मोहिनी कहती है, "मैं तो आज आम खा कर ही जाऊंगी।" और वह बूढ़ी औरत वहां से चली जाती है।

    फिर वह दोपहर का माहौल बन जाता है और कोई नहीं होता। पूरा सन्नाटा होता है और मोहिनी अपने काम में लगी रहती है और पेड़ पर पत्थर मारती ही रहती है।

    तभी वहां एक आवाज आती है, "मुझे इतने पत्थर मत मारो। तुम चाहो तो मेरे आम खा सकती हो। मैं आम नीचे फेंकता हूं।" तभी वहां एक बहुत बड़ा आम गिर जाता है।

    तभी मोहिनी कहती है, "यह किसकी आवाज़ है? कौन है जो पेड़ के पीछे छुपा हुआ है?"

    तभी वह आम का पेड़ कहता है, "मैं हूं आम का पेड़। मैं एक जादुई आम का पेड़ हूं और मेरा आम आज तक किसी ने नहीं खाया है क्योंकि आम नीचे नहीं गिरता है। क्योंकि तुम लगातार पत्थर मार रही थी और तुम्हें आम खाना ही था, तुमने अपनी जिद और अपनी चतुराई के और अपने ताकत के बलबूते पर मुझे हरा दिया। इसीलिए मैंने तुम्हें यह आम खाने के लिए दिया है।"

    मोहिनी वह रसीला, ताजा और मीठा आम खाती है और खुशी-खुशी अपने घर चली जाती है।

    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर कोई भी काम हम लगातार मेहनत और समर्पण से करते रहें तो हमें जीत मिलती ही है।




    गाओं मे ए रिक्शा 

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    बात है ढोलकपुर नाम के गांव की। ढोलकपुर में बहुत सारे लोग रहते थे, जिनमें से ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी करके अपना गुजर-बसर करते थे, लेकिन उनमें से कई सारे लोग बैलगाड़ी चलाया करते थे।

    क्योंकि गांव से शहर बहुत दूर था, इसीलिए शहर जाने के लिए लोग बैलगाड़ी का उपयोग करते थे, जिसकी वजह से बैलगाड़ी वालों की अच्छी-खासी कमाई हो जाती थी।

    रमेश शहर जाने के लिए घर से निकला। तभी उसे चौराहे पर एक बैलगाड़ी दिखाई दी। रमेश ने कहा, "भैया, शहर चलोगे?"

    तो बैलगाड़ी वाला कहता है, "हां भैया, शहर चलूंगा। लेकिन जब चार सवारियां हो जाएंगी, तभी हम चलेंगे।"

    रमेश कहता है, "भैया, एक सवारी के कितने रुपए लगेंगे?"

    तो बैलगाड़ी वाला कहता है, "एक सवारी के ₹2 लूंगा।"

    इस पर रमेश कहता है, "इसका मतलब चार सवारी के तुम्हें ₹8 मिलेंगे।"

    बैलगाड़ी वाला कहता है, "हां, बिल्कुल।"

    रमेश कहता है, "एक काम करो, मैं तुम्हें ₹8 देता हूं। तुम मुझे अकेले शहर लेकर चलो। इससे तुम्हें चार सवारी के पैसे मिल जाएंगे और मैं जल्दी शहर पहुंच सकूंगा क्योंकि वजन कम होगा तो बैलगाड़ी तेजी से चलेगी।"

    बैलगाड़ी वाला मान जाता है और रमेश बैलगाड़ी में बैठ जाता है। क्योंकि रमेश शहर में काम करता था और उसे रोजाना गांव से शहर जाना पड़ता था, इसीलिए उसे बैलगाड़ी से जाने में बहुत ही देर हो जाती थी, जिसकी वजह से उसे ऑफिस में अपने बॉस से डांट खानी पड़ती थी।

    अब रमेश को पता था कि शहर में बहुत सारे इलेक्ट्रिक रिक्शा घूमते हैं, जो बहुत ही तेजी से चलते हैं और वे थोड़ी सी चार्जिंग से बहुत ज्यादा चलते हैं, जिसकी वजह से ज्यादा लागत भी नहीं आती।

    चलते-चलते रमेश बैलगाड़ी वाले भैया से कहता है, "भैया, तुम्हारा नाम क्या है?"

    तो वह कहता है, "मेरा नाम आनंद है।"

    यह सुनकर रमेश कहता है, "बड़ा ही अच्छा नाम है।"

    तो बैलगाड़ी वाला कहता है, "यह नाम मेरे दादाजी ने रखा था।"

    रमेश कहता है, "यह तो बड़ी अच्छी बात है।"

    तभी रमेश कहता है, "भैया, तुम्हें पता है शहर में ई-रिक्शा चलाते हैं, मतलब इलेक्ट्रिक रिक्शा, जिसमें चार्जिंग करनी पड़ती है और वे बहुत ही फास्ट होते हैं।"

    यह सुनकर आनंद कहता है, "हां भैया, मुझे पता है।"

    रमेश कहता है, "फिर तुम एक ई-रिक्शा क्यों नहीं लेते? इससे तुम ज्यादा पैसे कमा पाओगे और हमारे गांव में एक भी ई-रिक्शा नहीं है। लोगों को जल्दी कहीं पहुंचना होता है तो वे तुम्हारे ई-रिक्शा में ही बैठेंगे और तुम उसमें भी चार लोग बिठा सकते हो एक साथ और तुम घर पर चार्जिंग कर लेना। कोई पेट्रोल-डीजल का झंझट नहीं।"

    इस पर वह बैलगाड़ी वाला आनंद कहता है, "भैया, लेकिन वे तो बहुत ही महंगे आते हैं ना और मुझे तो वह चलाना भी नहीं आता और मेरे पास तो उसका लाइसेंस भी नहीं है।"

    इस पर रमेश कहता है, "वह ज्यादा महंगे नहीं हैं, लेकिन तुम उसे इंस्टॉलमेंट पर भी ले सकते हो। तुम जितनी चाहे उतने महीने के इंस्टॉलमेंट के पैसे दे सकते हो ₹100, ₹200, ₹500 और बात है उसे चलाने की तो वह बहुत ही आसान होती है चलाने में। तुम उसे एक दिन में सीख जाओगे और बात रही लाइसेंस की तो अभी सरकार ने उसे पर कोई लाइसेंस नहीं डिक्लेयर किया है। इसका मतलब है तुम अभी इलेक्ट्रिक रिक्शा के लिए बिल्कुल तैयार हो।"

    यह सुनकर आनंद कहता है, "भैया, वे हमें इंस्टॉलमेंट पर ई-रिक्शा कैसे देंगे? वे तो हमें जानते भी नहीं।"

    रमेश कहता है, "मैं अपने एक दोस्त को जानता हूं जो इलेक्ट्रिक रिक्शा के शोरूम में काम करता है। वह मेरे द्वारा तुम्हें रिक्शा दे सकता है।"

    तभी बैलगाड़ी वाला कहता है, "ठीक है, मैं तैयार हूं ई-रिक्शा लेने के लिए।"

    कुछ ही दिनों के बाद रमेश बैलगाड़ी वाले आनंद भैया की मदद करता है डॉक्यूमेंट जमा करने में और आनंद गांव में पहला ई-रिक्शा लेकर आता है, जिससे वह घर पर ही चार्जिंग करता है और जल्दी से ही शहर पहुंचा देता है स्पीड में।

    इसकी वजह से गांव के दूसरे बैलगाड़ियों के पास सवारी नहीं आ रही थी, इसीलिए उन्होंने भी ई-रिक्शा ले लिया और धीरे-धीरे पूरे गांव में ई-रिक्शा हो गया, जिसकी वजह से उनकी अच्छी-खासी कमाई होने लगी।

    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान को कभी भी एक चीज के सहारे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलना चाहिए और दुनिया में जो नई चीज आ रही है उसे जल्दी से सीख लेना चाहिए। इससे हमारा ज़्यादा मुनाफा हो सकता है।


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