Choti Kahani In Hindi

छोटी कहानी इन हिंदी | Choti Kahani In Hindi | New 2024

तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

इसी लिए आज हमने आपके लिए छोटी कहानी इन हिंदी लाए है ताकि आप short stories छोटी कहानी इन हिंदी का लुत्फ उठा सको और छोटी कहानी इन हिंदी moral stories भी आपको पढ़ने को मिले।

तो चलिए शुरू करते है 2024 की बिल्कुल नई छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना और मज़ा उठाते है मजेदार छोटी कहानियां का।


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    सबसे अच्छा दान 

    (छोटी कहानी इन हिंदी)
    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    एक गांव में बिरजू नाम का एक आदमी रहता था और उसी के पड़ोस में महेश नाम का एक व्यक्ति रहता था दोनों पड़ोसी थे और दोनों ही बहुत ही धनवान थे पूरे गांव में।

    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।
    छोटी कहानी इन हिंदी

    एक दिन गांव का मुखिया बाजार में खड़ा था कि तभी वहां पर महेश आया महेश को देखकर गांव के मुखिया ने कहा कि मैं अभी तुम्हारे घर पर ही आ रहा था यह सुनकर महेश ने कहा क्या हुआ मुखिया जी कोई काम था क्या यह सुनकर मुखिया ने कहा हमारे गांव में कोई अस्पताल नहीं है इसीलिए गांव वालों ने मिलकर यह तय किया है कि हम सब पैसे जमा करेंगे आपस में और एक अस्पताल बनाएंगे।

    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    यह सुनकर महेश ने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है मुखिया जी तो मुखिया ने कहा तुम जो देना चाहते हो चंदे में दे दो यह सुनकर महेश ने अपनी जेब से ₹100 निकले और मुखिया को दे दिया यह देखकर मुखिया नाराज हो गया और कहने लगा कि सिर्फ ₹100 यह सुनकर महेश कहने लगा हम मुखिया जी मेरी इतनी ही हैसियत है और यह कहकर महेश वहां से चला गया।

    इसके बाद मुखिया महेश के पड़ोसी बिरजू के पास गया और कि हमारे गांव में अस्पताल बनने वाला है और हम सारे गांव वालों से चंदा ले रहे हैं यह सुनकर बिरजु ने कहा हां मुखिया जी मुझे पता है इसीलिए मैंने आपका नाम पर 10 लाख का चेक बना कर रखा है और बिरजू ने 10 लाख का चेक मुखिया को दे दिया।

    यह देखकर मुखिया बहुत खुश हो गए और कहने लगे एक तुम हो जिन्होंने 10 लाख का चेक दिया है अस्पताल को और एक तुम्हारा पड़ोसी महेश है जिसे अस्पताल के चलते में सिर्फ ₹100 दिए हैं मुझे समझ नहीं आता क्यों इतनी धन दौलत का आखिर करेगा क्या।

    और यह कहकर मुखिया वहां से चला गया।

    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    एक दिन महेश अपनी बीवी के साथ घर पर बैठकर खाना खा रहा था कि तभी वहां पर एक आदमी आया और महेश से कहने लगे महेश बेटा मेरी बीवी अस्पताल में भर्ती है मुझे ₹10000 की बहुत जरूरत है मुझे तुमसे ₹10000 चाहिए यह सुनकर महेश ने कहा मेरे पास तो अभी ₹2000 ही है चाचा और वह ₹2000 से निकाल कर उसे आदमी को देता है।


    लेकिन यह देखकर वह आदमी नाराज हो जाता है और कहता है मुझे तुमसे ही उम्मीद नहीं थी महेश तुम इतने धनवान होने के बावजूद भी मुझे केवल ₹2000 ही दे रहे हो जबकि मुझे ₹10000 की ज़रूरत है। 

    यह सुनकर महेश करने लगा चाचा मेरे पास अभी ₹2000 ही है और मैं अभी आपकी ₹2000 की मदद कर सकता हूं यह सुनकर उसे आदमी ने कहा लगता है तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है यह ₹2000 भी तुम तुम्हारे पास रखो मैं कहीं और से बंदोबस्त कर लेता हूं।

    और यह कहकर वह आदमी वहां से चला जाता है यह देखकर महेश की बीवी कहती है हमारे पास इतनी सारी जमीन है और इतना सारा पैसा आता है मुझे समझ नहीं आता कि यह सारा पैसा जाता कहां है।

    इस बात का जवाब महेश ने अपनी बीवी को नहीं दिया और वहां से चला गया।

    समय बिता गया और देखते ही देखते अस्पताल का पूरा काम हो गया और मुखिया ने अस्पताल के उद्घाटन के लिए बिरजू को बुलाया क्योंकि उसने 20 लख रुपए का चंदा जो दिया था अस्पताल को वहां पर महेश भी आया यह देखकर मुखिया ने कहा तुम भी यहां आए हो अस्पताल के उद्घाटन के लिए जबकि तुमने सिर्फ बता दिया था यह सुनकर महेश कहने लगा मुखिया जी मुझे उद्घाटन करने का कोई शौक नहीं है मैं तो सिर्फ यहां पर देखने आया हूं।

    बिरजू ने कहा तो मुखिया जी उद्घाटन करते हैं यह सुनकर मुखिया ने कहा डॉक्टरों की टीम की आती है हम अस्पताल का उद्घाटन कर लेंगे।

    थोड़ी देर में डॉक्टरों की टीम भी आ जाती है और बिरजू जैसे ही अस्पताल का उद्घाटन करने लगता है उसे चक्कर आ जाते हैं और वह जमीन पर धारण से गिर जाता है फिर डॉक्टर उसे इस अस्पताल में इसका ट्रीटमेंट करते हैं और डॉक्टर मुखिया से कहते हैं कि बिरजू की एक किडनी खराब हो गई है जिसकी वजह से उसे एक किडनी की बहुत जरूरत है नहीं तो यह जान से हाथ धो बैठेगा।

    यह सुनकर मुखिया कहता है हां हां बिरजू ने गांव के बहुत सारे लोगों की मदद की है गांव का कोई ना कोई व्यक्ति इसे अपनी एक किडनी जरूर दे देगा।

    मुखिया पूरे गांव में घूमता है लेकिन कोई भी व्यक्ति उसे किडनी नहीं देता और शहरी लोग बरना मुखिया पूरे गांव में घूमता है लेकिन कोई भी व्यक्ति उसे किडनी नहीं देता और शहरी लोग बरना बनने लगते मुखिया पूरे गांव में घूमता है लेकिन कोई भी व्यक्ति उसे किडनी नहीं देता और सारे गांव के लोग बहाना बनाने लगते हैं लेकिन फिर एक व्यक्ति बिरजू को अपनी एक किडनी दे देता है और बिरजू की जान बच जाती है।

    बिरजू ठीक होने के बाद मुखिया से कहता है वह कौन व्यक्ति है जिसने मुझे अपनी एक किडनी दी है यह सुनकर मुखिया कहता है उसने अपना नाम बताने से मना किया है और यह सुनकर बिरजू कुछ नहीं कहता और जैसे ही दोनों अस्पताल के बाहर निकलते हैं एक वकील आता है और मुखिया से करता है मुखिया जी आप जो 1 साल से पता लगाने की कोशिश कर रहे हो कि इस अस्पताल को 2 करोड़ की जगह आखिर किसने दी है तो उसका पता चल चुका है।

    इस फाइल में उसकी सारी जानकारी है जैसे ही मुखिया फाइल खुलता है तो वह चौंक जाता है क्योंकि महेश ने ही अस्पताल को 2 करोड रुपए की जगह दान में दी थी और किसी को बताया भी नहीं था।

    मुखिया उदास हो जाता है और कहता है मैं तो महेश को बहुत ही कंजूस समझता था लेकिन उसने अस्पताल को एक ऐसा दान दिया जो सभी दान सेबेहतर था।

    और यह देखने के बाद मुखिया बिरजू से कहता है बिरजू महेश ने ही तुम्हें अपनी एक किडनी दी थी जिसकी वजह से तुम्हारी जान बच गई यह बात सुनकर दोनों महेश के घर जाते हैं और महेश से माफी मांगते हैं यह सुनकर महेश कहता है,

    मुखिया जी सबसे अच्छा दान यह है कि आप बिना बोले किसी को दे दो और इसकी खबर किसी को भी ना चले यही मेरे लिए सबसे अच्छा दान है और इसीलिए मैं इसी तरह दान करता हूं कि किसी को कोई खबर भी नहीं होती।

    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम जब भी कोई बात करो तो हम उसी से करें और दिखावे के खाते में नंगा करें क्योंकि जो दान खामोशी में किया जाता है वह ऊपर वाले को बहुत ही पसंदीदा होता है।



    चालाक बकरी का रहस्य

    छोटी कहानी ज्ञान 

    छोटी कहानी इन हिंदी

    एक गांव में एक पाखंडी बाबा रहता था, सारे गांव के लोग और पड़ोस के गांव के लोग सभी उसे बहुत ही शक्तिशाली बाबा समझते थे और अपनी समस्या का हाल बताने के लिए उसे बाबा के पास आते थे लेकिन वह सभी से समस्या का हल करवाने के बाद बहुत सारे पैसे लेता था।

    लेकिन सभी लोग बेचारे उसे बाबा की बातों में आकर उससे बहुत सारे पैसे देते थे इसी तरह वह बाबा बहुत ही पैसे कमाता था बैठे-बैठे।

    एक दिन उसके पास एक पति पत्नी आए और उन्होंने बाबा से कहा कि हमारी शादी को बहुत साल हो चुके हैं लेकिन हमारी कोई औलाद नहीं है यह सुनकर बाबा ने कहा तुम्हारे घर में और आपकी किलकारी गूंजेगी लेकिन तुम्हें एक बकरे की बलि चढ़ाने पड़ेगी लेकिन वह बकरी बहुत ही खूबसूरत होनी चाहिए।

    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    छोटी कहानी इन हिंदी

    यह सुनकर पति-पत्नी ने कहा ठीक है हमें मंजूर है कि सुनकर बाबा ने कहा कि इसके लिए तुम्हें ₹100000 देने पड़ेंगे वह पति पत्नी बाबा को ₹100000 दे देते हैं।

    फिर वह बाबा अपने दो शिशु को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं यह लोग ₹10000 और गांव में जाओ और एक खूबसूरत बकरी लेकर आओ बलि चढ़ाने के लिए दोनों शिष्य पैसे लेते हैं और गांव में जाते हैं और गांव में वह बहुत जगह देखते हैं लेकिन उन्हें खूबसूरत बकरी दिखाई नहीं देती तभी वह एक घर में जाते हैं जान बहुत सारी बकरियां दिखाई देती है उसमें एक खूबसूरत बकरी भी थी।

    वहीं पर दो बकरियां थी एक सफेद बकरी और एक खाली बकरी दोनों की बातें कर रही होती है काली बकरी वहीं पर दो बकरियां थी एक सफेद बकरी और एक काली बकरी, 

    सफेद बकरी काली बकरी से कहती है देखो यह लोग मुझे खरीदने आए हैं अभी लोग मुझे घर ले जाएंगे मेरे अच्छे तरह से देखभाल करेंगे मुझे हरा-हरा चारा खिलाएंगे इसके बदले में उन्हें ताजा-तमन दूध दूंगी यह तो मैं नहीं ले जाएंगे क्योंकि तुम काली बकरी हो और मैं सफेद बकरी हूं और बहुत ही खूबसूरत हो यह सुनकर काली बकरी निराश हो जाती है और कुछ नहीं कहती।


    दोनों शिष्य सफेद बकरी को खरीद लेते हैं लेकिन तभी बकरी बेचने वाला कहता है यह बकरी बहुत ही दूध देती है यह सुनकर वह दोनों शिष्य कहते हैं हमें इसके दूध से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हम इसे बलि देने के लिए ले जा रहे हैं यह सुनकर सफेद बकरी दम रह जाती है और उसे अफसोस होता है कि वह अपने खूबसूरती पर गोली हवन कर रही थी लेकिन अब उसे बलि चढ़ाया जाएगा और उसे अपनी बात का पछतावा होता है।

    दोनों शिष्य बकरी को लेकर बाबा के पास जाते हैं बाबा बकरी को देखकर कहते हैं अच्छी बकरी लाए हो अब तुम इसे रात में यहां रख दो और कल सुबह इस नदी पर ले जाकर नहलाना उसके बाद हम इसकी बाली देंगे।

    दोनों शिष्य बकरी को सुबह होते ही नदी पर नहलाने के लिए लेकर जाते हैं अब बकरी रहती है कि मुझे कुछ ना कुछ करना होगा नहीं तो मेरी बलि चढ़ा दी जाएंगी।

    बकरीद दोनों शिष्य से कहती है तुम्हें पता है मुझे एक रहस्य की बात पता है जो मैं तुम्हें नहीं बताऊंगी यह सुनकर शिक्षक होते हैं बताओ हमें बताओ इसका बकरी रहती है यह तो मैं सिर्फ तुम्हारे बाबा को ही बताऊंगी क्योंकि ये रहस्य की बात है।


    दोनों शिष्य बकरी को लेकर बाबा के पास जाते हैं और बाबा से कहते हैं यह बकरी कोई रहस्य के बाद चलती है लेकिन यह कर रही है कि यह सिर्फ आपको ही बताएंगी ,यह सुनकर बाबा कहेते है ठीक है बताओ मुझे तुम कौन से रहस्य की बात जानती हो।

    बकरी जोर जोर से हंसने लगती है, ये सुन कर बाबा कहते है तुम क्यों हंस रही हो ये सुन कर बकरी कहती है , में पिछले जन्म में इंसान थी लेकिन मैंने एक बकरी की बलि दी थी इसी लिए मैं इस जन्म में बकरी बन गई हो ।

    और आज तुम मेरी बलि दे रहे हो और अगले जन्म में तुम भी बकरी बन जाओगे ये सुन कर बाबा डर जाते है और अपने शिष्यों से कहते है, 

    " तुम इस बकरी को लेकर जाओ और हमारे घर में बांध दो बकरी को रोज सुबह-सुबह हरा चारा खिलाना और हम इसका ताजा ताजा दूध पंगे अब हम इसकी बाली नहीं चढ़ाएंगे"

    इसके बाद बकरी बहुत ही आराम से रहने लगती है और हर-हर चारों खाती है और वह अपनी चतुराई की वजह से अपनी जान बचा लेती है।

    कहानी से मिलने वाली सीख: हमें हर सिचुएशन में अकल से काम लेना चाहिए।



    बेवकूफ लकड़हारा पवन

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    छोटी कहानी इन हिंदी

    एक गांव में दौलत राम नाम का एक व्यापारी रहता था उसे व्यापारी के पास एक आदमी था जो उसका बहुत खास आदमी था जिसका नाम पवन था लेकिन पवन बहुत ही बेवकूफ था सारे गांव के लोगों से बेवकूफ पवन कहते थे।

    लेकिन दौलत राम का वह बहुत पुराना आदमी था इसीलिए वह बेवकूफ पवन को हमेशा अपने साथ रखता था और वह जब भी शहर जाता था तो पवन को अपने साथ लेकर जाता था।

    एक दिन दौलत राम को शहर जाने की नौबत पड़ी लेकिन उससे बहुत सारे पैसे लेकर शहर जाना था क्योंकि उसने शहर में एक दुकान खरीदी थी और उसी की खरीदी के लिए वह उसे शहर जाना था पैसे लेकर।

    लेकिन एक जंगल को पार करने के बाद शहर का रास्ता था और उसे जंगल का रास्ता पार करना था इसीलिए उसने अकेली लाल पर जाते हुए पवन को भी साथ ले लिया और वह दोनों जंगल के रास्ते चल पड़े।

    दौलत राम को पता था कि उसके पास बहुत सारे पैसे हैं और जंगल में बहुत सारे डाकू घूमते हैं इसीलिए उसने एक बंदूक ली और पवन को दे दी और कहा कि यह लो बंदूक और जब भी कोई डाकू है तो उसे इस बंदूक से डरना और उनके घोड़े को जख्मी कर देना जिसकी वजह से वह वहां से भाग जाएंगे भगवान ने वह बंदूक ले ली।

    लेकिन जब वह जंगल में जा रहे थे तभी वहां डाकू आ गए और पवन बजाए डाकुओं को बंदूक से करने के एक पेड़ पर जा बैठा और डाकू ने दौलत राम के सारे पैसे लूट लिए और उसे कंगाल कर दिया।

    इसकी वजह से दौलतराम को पवन पर बहुत गुस्सा आ गया और उसने चिल्लाकर कहा, " पवन तुम्हे सारा गांव बेवकूफ और डरपोक कहेता है लेकिन मैंने कभी तुम्हे बेवकूफ नहीं।कहा लेकिन मुझे आज पता चल गया है कि तुम सच में बहुत बेवकूफ हो और तुम बेवकूफ कौन हो और तुम्हें मेरे साथ रहने की कोई जरूरत नहीं है मैं तुम्हें नौकरी से निकलता हूं और यह कहेकर उसने पवन को नौकरी से निकाल दिया।

    इसके बाद पवन के पास कोई नौकरी नहीं थी उसने सारे गांव भर में घूम-घूम कर नौकरी मांगी जिसमें से कोई नौकरी देने के लिए तैयार भी नहीं था क्योंकि पूरा गांव को पता था कि वह बहुत बेवकूफ है।

    फिर उसने सोचा कि मुझे इसीलिए नौकरी नहीं मिल रही है क्योंकि किसी ने मुझ पर जादू किया है क्योंकि वह बेवकूफ होता है इसीलिए उसने सोचा कि किसी बाबा के पास जाते हैं ताकि वह मुझे कोई धागा दे जिससे मुझे कोई नौकरी मिल जाए।

    वह एक पाखंडी बाबा के पास जाता है और उससे कहता है बाबा मुझे कोई नौकरी नहीं मिल रही है मुझे कोई ढंग से दीजिए यह सुनकर वफा खंडे बाबा कहते हैं ठीक है तुम मुझे ₹10 दो मैं तुम्हें एक धागा दूंगा जो तुम अपने हाथ में बांध देना इससे तुम्हें जल्दी से नौकरी मिल जाएंगी।

    " लेकिन याद रखना अगर यह धागा तुम्हारे हाथ से टूट गया तो यमराज तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हें ले जाएगा और तुम मर जाओगे" 

    यह सुनकर बेवकूफ पवन कहता है यह दंगा मेरे हाथ से कोई नहीं तोड़ सकता और वह धागा हाथ में बांध लेता है दूसरे दिन उसे एक नौकरी मिल जाती है यह देखकरपवन बहुत ही खुश हो जाता है और वह करता है कि वह बाबा तो बहुत ही पावर होते हैं उन्होंने कहा था कि मुझे नौकरी मिल जाएंगे और नौकरी मिल गई और उनकी यह दूसरी बात भी सच है कि मेरे हाथ से धागा अगर टूट जाए तो मैं मेरा हाथ पकड़ कर यमराज ले जाएगा और मैं मर जाऊंगा। इसलिए मुझे इस आगे की रक्षा करनी होगी तो कभी से हाथ से नहीं निकालना होगा।

    एक दिन छोड़ बेवकूफ पैदाइश हो रहा था तो तभी उसके हाथ से निकला धाकड़ टूट जाता है और जब वह सुबह उठकर देखा है तो धागा टूटा हुआ था यह देखकर बहुत डर जाता है और जोर जोर से चिल्लाने लगता है और रोने लगता है कि क्या हुआ वह सारी बात बताता है और कहता है मेरे हाथ से गाना टूट गया है अब यमराज मुझे मेरा हाथ पकड़ कर ले जाएगा और मैं मर जाऊंगा।

    ये देख कर उसकी बीवी बहुत डर जाती है और उसी पाखंडी बाबा के पास जाती है और उस से कहती है मेरे पति के हाथ का काला धागा टूट गया है और अब उन्हें लग रहा है की वो। मर जायेंगे।

    पाखंडी मामा इसी मौके का इंतजार कर रहे थे अब वह वहां गए और उसे कहने लगे बेवकूफ पवन से की अब तुम मुझे ₹10000 दो मैं तुम्हें इसका इलाज दूंगा और तुम नहीं मारूंगा यह सुनकर पागल कहते हैं तुमने पहले तो धागा देने पर ₹10 दिए थे लेकिन अब ₹10000 ले रहे हो यह सुनकर पाखंडी बाबा कहते हैं तुम्हें पैसे देना हो तो दो नहीं तो मैं जाता हूं यह सुनकर फोन करके ठीक है पवन सिंह ₹10000 देता है।


    तुम्हें पाखंडी बाबा उसे कहते हैं तुम्हारी गाय के गले में जो काली रस्सी है उसे अपने गले में पहन लो इससे तुम नहीं मरोगे यह सुनकर " बेवकूफ पवन कहेता है हा इससे मैं तो बच जाऊंगा लेकिन मेरी गाय तो मर जायेंगी न " 

    ये सुन कर पाखंडी बाबा कहेता है , मैने कहा था कि यमराज तुम्हारा हाथ पकड़ कर ले जाएंगा, और तुम्हारी गाय का तो कोई हाथ ही नहीं है।

    इसका मतलब है की तुम्हारी गाय नही मरने वाली है ये सुन कर बेवकूफ पवन खुश हो जाता है और कहता है कि मैं भी बच गया और मेरे गाय भी बच गई।

    कहानी से मिलने वाली सीख: अगर कोई बेवकूफ होता है तो उसका फायदा पूरी दुनिया उठाती है।



    लालची मटर पनीर के समोसे वाली

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    छोटी कहानी इन हिंदी

    एक छोटे से गांव में एक गरीब आदमी रहता था जिसका नाम रवि था। रवि एक मजदूर था जो रोज मजदूरी करता था और अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन फिर भी उसे अपने पैसे पूरे नहीं पड़ते थे।

    एक दिन जब रवि अपने घर वापस लौटा दो तभी उसकी बीवी कहते हैं कि आज कितने पैसे ले तो रवि ने कहा कि आज मुझे काम नहीं मिला यह सुनकर उसकी बीवी कहती है मैंने तो गलती कर ले तुमसे शादी करके अभी तक हमारे दो बच्चे हो गए हैं और हमें अभी भी गरीबों की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। 

    यह सुनकर रफी करता है तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं मैं पूरी कोशिश तो करता हूं कि मुझे कम मिले मैं ज्यादा पैसा कमाओ लेकिन मुझे कोई काम मिलता ही नहीं है इसमें मेरी कोई गलती नहीं। 

    यह सुनकर रवि का बेटा कहता है मम्मी तुम मटर पनीर समोसे की हवेली क्यों नहीं लगती तुम तो मटर पनीर समोसे बहुत स्वादिष्ट बनाती हो यह सुनकर रवि को यह आइडिया बहुत अच्छा लगता है और अभी सच में अपनी बीवी से करता है कि तुम सच में मटर पनीर समोसे रेडी लगाओ मैं तुम्हारी मदद करूंगा उसमें।

    यह सुनकर रवि की पत्नी रहती है कि हमारे पास पैसे कहां है जोड़ी लगाने के लिए उसे पर रवि के कहेता है पैसों का बंदोबस्त कर लेता हूं।

    रवि गांव के जमींदार से कुछ पैसे उधार लाता है और मटर पनीर समोसे की अलविदा करता है पहले पहले तो ज्यादा ग्राहक नहीं आते लेकिन जो भी ग्राहक आते हैं वह मटर पनीर समोसे की बहुत तारीफ करते हैं क्योंकि उन्होंने पहली बार इस तरह का समोसा खाया था। 

    थोड़ी ही दिनों में पूरी बात गांव में फैल जाती है इसके बाद रवि के मटर पनीर समोसे के रेडी पर बहुत ही भेड़ लग जाती है और रवि की अच्छी खासी कमाई होने लगती है और रवि की बीवी भी बहुत ही स्वादिष्ट मटर पनीर समस्या बनाती है।

    थोड़ी दिन के बाद रवि के पास बहुत पैसा हो जाते हैं फिर वह अपनी एक दुकान डाल देता है गांव के बाजार में और अपना घर भी नया बना लेता है और खुशी-खुशी अपनी जिंदगी गुजरता है।



    मूर्ख मछुआरा

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    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    रमनपुर नाम का एक छोटा सा गांव था उसे गांव में बहुत सारे लोग रहा करते थे और वह गांव नदी के तट पर था इसलिए ज्यादातर लोग मछली पकड़ने का व्यापार करते थे और ज्यादातर सभी मछुआरे थे। 


    उसमें से एक आदमी था जिसका नाम बामन था बमन के बीवी थी और एक बच्चा था। उसके बेटे का नाम बिट्टू था बिट्टू थोड़ा मूर्ख था इसी वजह से सारे गांव के लिए उसकी मूर्खता का फायदा उठाते थे। 

    एक दिन बिट्टू की मां ने बिट्टू को टिफिन दिया और टिफिन देते हुए कहा कि बिट्टू यह टिफिन मैंने बनाया है इसमें मछली है यह तुम अपने पिताजी को ले जाकर दो और किसी के मूर्ख बनाने पर मूर्ख मत बना यह कहकर बिट्टू टिफिन लेकर जाता है। 

    जैसे हो गांव से बाहर निकलता है उसे वहां पर एक लड़का दिखाई देता है जो उसका पड़ोसी होता है उसे बिट्टू के बारे में पता था वह बिट्टू को मूर्ख बनाने की कोशिश करता है ।


    और बिट्ठू से कहता है तुम टिफिन में क्या ले जा रहे हो बिट्टू कहता है मैं मछली ले जा रहा हूं पिताजी के लिए यह सुनकर वह लड़का कहता है आज मेरे सपने में जलपरी आई थी और मुझे कहीं की जो भी आज मछली खाएगा वह मर जाएगा यह सुनकर बिट्टू कहता है अरे बाप रे अब मैं पिताजी को यह मछली नहीं खाने दूंगा। 

    वह लड़का कहता है ठीक है एक काम करो मेरे पास टिफिन है इसमें सूखी रोटी और बाजी है यह तुम अपने पिताजी को दे दो और मुझे यह मछली का डब्बा दे दो मैं इसे कहीं दूर फेंक कर आता हूं बेचारा मूर्ख बिट्टू यही करता है और उसे मछली का डब्बा दे देता है और सूखी रोटी और भाजी का डब्बा अपने पिताजी को ले जाकर देता है। 

    घर पहुंचती ही हुई है बात अपनी मां को बताता है उसकी मां बिट्टू को बहुत डरती है और कहती है तुम कब तक मूर्ख बनते रहोगे लोगों के हाथों और इससे बिट्टू को बहुत ही तकलीफ पहुंचती है। 

    एक दिन बिट्टू के पिता बिट्टू को अपने साथ मछली पकड़ने के लिए नदी में लेकर जाते हैं और उन्हें वहां कुछ काम याद आ जाता है दो बिट्टू से कहते हैं कि तुम यहां बैठो अगर जाल में कोई मछली बस्ती है तो उसे बर्तन से ढक कर रखना मैं तब तक एक काम पूरा करके आता हूं बिट्टू कहता है ठीक है पिताजी आप जल्दी आए।


    वहीं पर ही उसके पड़ोसी का लड़का होता है वह बिट्टू से कहता है आज तुम अकेले मछली पकड़ने आए हो यह सुनकर बिट्टू कहता है नहीं पिताजी को कोई काम याद आ गया है इसीलिए वहां गए हैं और मैं यहां पर मछली पकड़ रहा हूं। 


    तभी बिट्टू की जाल में मछली फस जाती है यह देखकर वह लड़का ताली बजाता है और बिट्टू से कहता है अब दाल को पकड़ लो जल जो नाव से बना हुआ था बिट्टू से खोलकर अपने हाथ में पकड़ लेता है। 


    तभी उसे लड़के के जाल में भी मछली फस जाती है वह लड़का कहता है बिट्टू तुम्हें खुशी नहीं हुई मेरे जाल में भी मछली फस गई यह सुनकर बिट्टू कहता है नहीं मुझे खुशी हुई तो वह लड़का कहता है फिर तुमने तले क्यों नहीं बजाई अभी तुझ से ताली बजाता है उसके हाथ से जल छोड़ जाता है और मछली के साथ जल भी बहे जाता है।

    जैसे ही उसके पिताजी देखते हैं बिट्टू ने जाल समेत मछली छोड़ दी है, वह उसे पर बहुत नाराज होते हैं और वहां से बिट्टू को घर भेज देते हैं। 

    थोड़ी दिनों के बाद खाओगे सरपंच एक मीटिंग करते हैं और कहते हैं कि महाराज हमारे गांव में आने वाले हैं उनके स्वागत के लिए फूल कौन बरसाएगा इसलिए जिम्मेदारी बिट्टू को दी जाती है और सरपंच बिट्टू से कहते हैं तुम्हारे पास ही फूलों की टोकरी रहेगी तुम ही महाराज का स्वागत करना लेकिन यह फूलों की टोकरी किसी को मत देना और अपनी जगह से हिना भी मत बिट्टू कहता है ठीक है सरपंच जी।

    रात में बहुत ज्यादा बारिश होती है जिसकी वजह से महाराज दूसरे रास्ते से गांव में आते हैं लेकिन झुमका वाले बिट्टू से कहते हैं कि महाराज दूसरे रास्ते से आने वाले हैं तो वहां खड़े रहो लेकिन बिट्टू कहता है मुझे तो सरपंच जी ने ही खड़े रहने के लिए कहा है और बिट्टू भाई खड़ा रहता है और महाराज दूसरे रास्ते से आकर चले जाते हैं लेकिन महाराज का स्वागत नहीं होता तो महाराज बहुत गुस्सा हो जाते हैं और सरपंच को महल में बुलाते हैं। 

    तो दोस्तो आज आपका सुवागत है छोटी कहानी इन हिंदी कहानियां में क्योंकि छोटी कहानी इन हिंदी पढ़ना सभी को बहुत अच्छा लगता है और खास कर के छोटी कहानी ज्ञान पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है।

    सरपंच यह देखकर बहुत गुस्सा हो जाते हैं और बिट्टू को गांव से निकाल देते हैं, बिट्टू बेचारा अकेला जंगल में जाता है और सो जाता है जब उसकी आंख खुलती है तो देखा है कि कोई उसमे बिट्टू बिट्टू कह रहा है तभी वह देखता है कि एक मछली होती है वह हैरान हो जाता है वह मछली से कहता है मैंने पहली बार बोलती हुई मछली अच्छी है तुम मेरा नाम कैसे जानती हो। 


    मछली रहती है मैं वही मछली हूं जो तुम्हारे जल में फस गई थी फिर तुमने मुझे छोड़ दिया था यह सुनकर बिट्टू कहता है अच्छा मछली रहती है मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं मेरी मां जलपरी है मैं उनके पास तो मैं ले जाऊंगी बिट्टू मछली पर बैठता है और नदी के अंदर जलपरी के पास जाता है। 


    जलपरी रहती है तुमने मेरे बेटी की जान बचाई है मैंगो तुम्हें क्या चाहिए बिट्टू कहता है सारे लोग मुझे मूर्ख कहते हैं मैं चाहता हूं कि तुम मुझे बुद्धि दो और मैं बहुत ही होशियार बन जाऊं यह सुनकर जलपरी बिट्टू को एक आशीर्वाद देती है जिससे बिट्टू बहुत ही समझदार बन जाता है और बिट्टू को ढेर सारे सोने के सिक्के भी देती है। 

    अब जैसे ही बिट्टू घर पहुंचता है सरपंच बिट्टू को बुलाने आता है और कहते हैं कि महाराष्ट्र में सजा देने वाले हैं क्योंकि तुमने महाराज का फूलों से स्वागत नहीं किया है बिट्टू महाराज के महल में जाता है और कहता है महाराज उसे रात बहुत बारिश हुई थी जिसकी वजह से फूलपुरी तरह भीग चुके थे इसी तरह मैं नहीं चाहता था कि भीगे हुए फूल आप पर वर्षा हो इसीलिए मैंने आपका फूलों से स्वागत नहीं किया।

    महाराज को बिट्टू की बात सही लगती है और महाराज बिट्टू को माफ कर देते हैं इसी तरह बिट्टू अब बहुत समझदार हो जाता है और इसके बाद कोई भी बिट्टू को बेवकूफ नहीं बन सकता था।


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